मासूम बेटी से दुष्कर्म के आरोपी कलयुगी पिता को मिली जमानत

-अनुसंधान अधिकारी ने 90 दिन में नहीं पेश किया चालान, आरोपी को मिला जमानत का लाभ
-एसपी को दिए लापरवाह थानाधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश
उदयपुर। जिले के टीडी क्षेत्र में मां की अनुपस्थिति में मासूम 12 वर्षीय बेटी को हवस का शिकार बनाने के आरोपी कलयुगी पिता को अनुसंधान अधिकारी की लापरवाही के चलते अदालत से जमानत का लाभ मिल गया। पुलिस ने नियत 90 दिन में चालान पेश नहीं किया। विशिष्ट लोक अभियोजक द्वारा जमानत निरस्त करने के लिए प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर अदालत ने 21 अगस्त को सुनवाई रखी है।
प्रकरण के अनुसार अपनी ही 12वर्षीय पुत्री से दुष्कर्म के आरोपी कलयुगी पिता के अधिवक्ता पुष्करलाल मेनारिया द्वारा शनिवार को सुबह 11.32 बजे जमानत के लिए प्रार्थना पत्र अदालत में पेश किया। इसे 20 मिनट बाद ही टीडी थानाधिकारी ने अदालत में आरोप पत्र पेश किया। अधिवक्ता ने पुलिस द्वारा नियत 90 दिन में चालान पेश नहीं करने पर आरोपी पिता को जमानत का लाभ देने का आग्रह किया जिसका विशिष्ट लोक अभियोजक चेतनपुरी गोस्वामी ने विरोध करते हुए तर्क दिया कि आरोपी के विरुद्ध अपनी ही मासूम पुत्री से दुष्कर्म करने और उसका वीडियो क्लिप बनाने का आरोप है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठासीन अधिकारी भूपेंद्र कुमार सनाढ्य ने दिए आदेश में लिखा कि विधि का सुस्थापित सिद्धांत है कि पलिस निर्धारित अवधि में जांच पूर्ण करने में असमर्थ है तो न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे आरोपी को जमानत मांगने का अधिकार है। इस पर जमानत के प्रार्थना पत्र पर कोर्ट मामले में गुणावगुण पर विचार नहीं कर सकता। पोक्सो एक्ट के इस अपराध में मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान होने पर भी पुलिस ने निश्चित समयावधि में चालान पेश नहीं किया। पीठासीन अधिकारी ने आरोपी का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए दो लाख के मुचलके व एक-एक लाख की दो जमानत पेश करने पर रिहा करने के आदेश दिए। इस आदेश के खिलाफ विशिष्ट लोक अभियोजक चेतनपुरी गोस्वामी ने जमानत निरस्त करने के लिए अलग से अदालत में प्रार्थना पत्र पेश किया जिस पर 21 अगस्त को सुनवाई रखी गई है। फिलहाल आरोपी की ओर से जमानत पेश नहीं की गई।
20 दिन रखे रखा चालान
पीठासीन अधिकारी द्वारा पत्रावली का अवलोकन करने पर पाया गया कि आरोपी के खिलाफ आरोप प्रमाणित होना मानते हुए पुलिस ने 18 अगस्त को सुबह 11.52 बजे आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया जबकि आरोप पत्र 28 जुलाई को तैयार किया जा चुका था। थानाधिकारी ने 20 दिन तक आरोप पत्र अपने पास ही रखे रखा। जानबूझकर 90 दिन की अवधि पूर्ण होने के बाद आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया। पीठासीन अधिकारी ने आदेश की प्रति जिला पुलिस अधीक्षक को भेजते हुए गंभीर प्रवृति के मामले में लापरवाही बरतने वाले थानाधिकारी के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई से रिपोर्ट अदात में पेश करने के निर्देश दिए।
यह है मामला
पीड़िता की मां ने टीडी थाने में गत 28 मई को रिपोर्ट दर्ज करा बताया कि वह एक मई को विवाह समारोह मे गई थी। पीछे पति ने 12 अपनी ही मासूम बेटी को हवस का शिकार बनाते हुए दुष्कर्म किया और अपने मोबाइल पर उसका वीडियो क्लिप बनाया। पति के मोबाइल पर वीडियो देखने पर बेटी को विश्वास में लेकर पूछा तो उसने पिता द्वारा किए गए गलत कार्य के बारे में बताया कि जब वह शादी समारोह में चली गई तो पीछे अकेला पाकर पिता ने उसके साथ गलत कार्य किया। इस मामले में पुलिस ने आरोपी कलयुगी पिता को 19 मई को गिरफ्तार किया जो वर्तमान में न्यायिक अभिरक्षा में है।

By Udaipurviews

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