बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे पंडित नागर ……
– राजस्थान विद्यापीठ के संस्थापक जनुभाई को 113वीं जयंती पर किया नमन, जनुभाई के सपनों को पूरा करने का लिया संकल्प
उदयपुर 16 जून / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर की 113वीं जयंती रविवार को धूमधाम से मनाई गई। प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में ‘जनुभाई महज एक नाम नहीं बल्कि विचार’ विषय पर संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि जनुभाई युग निर्माण के प्रणेता थे जिन्होंने आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी की प्रेरणा से जनमानस को शिक्षा के माध्यम से जागरूक किया। उन्होंने कहा कि मेवाड़ का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। यहां बप्पारावल, महाराणा कुंभा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप एवं महाराणा राजसिंह जैसे पराक्रमी, वीर एवं तेजस्वी महापुरूष हुए है। वहीं महारानी पद्मिनी, भक्तिमती मीरा एवं हाड़ी रानी तथा पन्नाधाय जैसी दिव्य विभूतियाँ हुई हैं जिनका नाम लेने मात्र से सिर गर्व से ऊंचा उठ जाता है। विजय सिंह पथिक, माणिक्यलाल वर्मा एवं मोतीलाल तेजावत आदि स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने त्याग और बलिदान से मेवाड़ की कीर्ति को उज्ज्वलता प्रदान की है। उसी दौर में स्वतत्रंता की अलख जगाते हुए मेवाड़ के जन-जन की निरक्षरता का अंधकार दूर करने की जो तपस्या पं. जनार्दनराय नागर ने की, उन्हें युग-युग तक भुलाया नहीं जा सकता। वे हिन्दी के प्रबल पक्षधर थे। आजादी के 10 वर्ष पूर्व 1937 में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की जिसे बाद राजस्थान विद्यापीठ के नाम से जाना गया। जनुभाई का व्यक्तित्व बहुआयामी, प्रेरणास्पद और जीवन्त है। वे व्यक्ति नहीं संस्था थे। बहुआयामी व्यक्तित्व के फलस्वरूप ही समाज के उत्थान के लिए विभिन्न क्षेत्रों में जनुभाई ने कार्य किया। वे सुप्रसिद्ध साहित्यकार, प्रबुद्ध चिंतक, समाज सुधारक, पत्रकार, कवि, शिक्षा शास्त्री, राजनेता, दार्शनिक के साथ श्रेष्ठ रचनाकार भी थे। वे शिक्षा को लोकतंत्र के लिए जरूरी मानते थे। मनीषी पं. नागर शाश्वत नैतिकता एवं आचार-विचारों के शिल्पी थे जिन्होने राष्ट्रीय चिंतन के साथ एक ऐसी संस्था खड़ी की जिसका उद्देश्य भारत राष्ट्र के अभ्युदय के लिए संकल्पबद्ध आचार-विचारों की क्रियांविति पर बल देना है। भारतीय ज्ञान जिसका हमारे वेदों, उपनिषद्ो एवं आर्ष ग्रंथों में आज भी छिपा हुआ है जिसमें खोजकर नयी परिभाषा के साथ उल्लेखित करने की जरूरत है।
जनुभाई ने श्रमजीवियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा – गुर्जर
मुख्य अतिथि कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि पंडित नागर की सोच का ही परिणाम था कि वे शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को साक्षर एवं प्रबुद्ध नागरिक बनाते हुए जीविकोपार्जन के लिए तैयार करना है, लेकिन वास्तविक उद्देश्य मनुष्य को सभी पहलुओं से व्यापक बनाना एवं विकसित करना है। उन्होंने कहा कि जनुभाई अपने आप में किसी पुरस्कार से कम नहीं थे। उन्होंने संस्था की शुरूआत दिन भर काम करने वालों को पुनः शिक्षा की मुख्य धारा से जोडने के उद्देश्य से रात्रिकालीन श्रमजीवी कॉलेज की स्थापना की। मनीषी पं. नागर का जीवन संघर्षमयी रहा। सामाजिक चेतना एवं शिक्षा प्रसार के लिए उनके द्वारा किए गए कार्य उल्लेखनीय है। राजस्थान विद्यापीठ जनुभाई का स्वप्न रहा है और अपने स्वप्न को साकार करने में उन्होंने सतत् संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि उस समय हमें वर्ष में एक बार वेतन मिलता था वह भी किसी दानदाता द्वारा या ग्रांट के पास होने पर। आज यह विद्यापीठ राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित है। प्रो. हेमेन्द्र चैधरी ने कहा कि बचपन से ही जनुभाई देशप्रेम की बातें किया करते थे। छोटी-छोटी रियासतों को एक करने का कार्य भी जनुभाई ने किया। उनका मानना था कि शिक्षा के माध्यम से ही आमजन को जागरूक किया जा सकता है इसके लिए जनुभाई ने गांव गांव में प्रौढ़ शिक्षा के केन्द्र खोले और हिन्दी के माध्यय से प्रचार-प्रसार शुरू किया। संचालन प्रो. मलय पानेरी ने किया जबकि आभार सहायक कुल सचिव डॉ. धमेन्द्र राजौरा ने जताया।
आदमकद प्रतिमा पर किया नमनः-
निजी सचिव केके कुमावत ने बताया कि संगोष्ठी से पूर्व प्रतापनगर परिसर में स्थापित जनुभाई की आदमकद प्रतिमा पर कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत , बीएल गुर्जर के सान्निध्य में कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। इस मौके पर प्रो. मंजू मांडोत, प्रो. मलय पानेरी, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. मंजु मांडोत, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. भवानी पाल सिंह राठौड़, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. नवीन विश्नोई, डॉ. हेमेन्द्र चैधरी, डॉ. एसएस चैधरी, डॉ. बबीता रशीद, डॉ. लीली जैन, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. शाहिद कुरैशी, जितेन्द्र सिंह चैहान, डॉ. ललित, डॉ. अजिता रानी, डॉ. संतोष लाम्बा, डॉ. आशीष नंदवाना, मनोज रायल, डॉ. नजमुद्दीन, भगवती लाल श्रीमाली, डॉ. विजय दलाल, सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर एवं कार्यकर्ताओं ने जनुभाई को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके द्वारा बताये मार्ग पर चलते हुए विद्यापीठ के उत्तरोत्तर विकास में सहयोग देने की शपथ ली।