जीवन में गुरू का होना अत्यंत आवश्यक : निरागरत्न

उदयपुर, 18 सितम्बर। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पंन्यास प्रवर निरागरत्न विजय जी म.सा. ने बुधवार को धर्मसभा में कहा कि जीवन को उच्च बनाने के लिए गुरू की आवश्यकता है। जिस प्रकार पैंसिल को चलाने के लिए शॉपनर की आवश्यकता होती है उसी प्रकार शॉपनर रूपी गुरू आपके दोषों को छिलने का काम करेगा। गलती होने पर वो आपको डांट सकते हैं, पाप करने से अटका सकते हैं, धर्म के मार्ग में जोड़ सकते हैं। जीवन की यात्रा में, गुरु या मेंटर का होना एक मार्गदर्शक प्रकाश की तरह है जो आगे का रास्ता रोशन करता है। वे हमारे जीवन को आकार देने, मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने और हमें नियंत्रण में रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुरु हमें सिर्फ हमारे सवालों के जवाब नहीं देते बल्कि वह उन जवाबों तक पहुँचने की यात्रा पर जोर देते है। समाधान खोजने के पीछे की प्रक्रिया को समझकर, हम जरूरी प्रयासों और जरूरी त्यागों के लिए गहरी समझ हासिल करते हैं। श्रीसंघ अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि पंन्यास प्रवर के दर्शन-वंदन हेतु बाहर से निरन्तर श्रावक-श्राविकाओं के आने का क्रम बना हुआ है। साथ ही तपस्याओं का क्रम बना हुआ है।

By Udaipurviews

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