उदयपुर। सुरजपोल बाहर सिथत दादाबाड़ी में चल रहे चातुर्मासिक में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि विविध धर्मानुष्ठान करने पर भी जब आत्म शुद्धि, विचारशुद्धि नहीं होती, प्रशम भाव जागृत नहीं होते, धर्म व्यवहार में नहीं आता तो धर्माराधक को बेचौनी, आकुलता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि लाईट फिटिंग होने पर स्विच ऑन करने पर भी जब लाईट नही आती प्रकाश नही होता तो इसका मख्य कारण पावर हाऊस से कनेक्शन नहीं लिया गया है। चाहे कितने भी अनुष्ठान कर लो जब तक परमात्मा रूपी पावर हाऊस से कनेक्शन नही जोडा जायेगा तब तक जीवन रुपान्तरित नही होगा, जीवन में अंधकार रहेगा, प्रकाश की एक किरण भी नही आयेगी।
परमात्मा से कनेक्शन जोडना बहुत सरल नही है। धर्म पुरुषार्थ करना होगा। चार भूमिकाए हैं कनेक्शन के लिए – स्मरण, दर्शन, स्तवन और स्पर्शन ।
उन्होंने कहा कि याद रखना परमात्मा का स्मरण ही तुम्हे परमात्मा बनायेगा। परमात्म दर्शन की तडफन आत्म साक्षात्कार करवाएगी। परमात्मा के गुणों की स्तवना तुम्हे गुणानुरागी बनाएगी तो स्पर्शन तुम्हें एनर्जेटिक बनाएगा।
आज्ञा का नाश करने की क्षमता स्वाध्याय में-साध्वी डॉ संयमलता
उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ. संयमलता म. सा.,डॉ.अमितप्रज्ञाजी म. सा., कमलप्रज्ञाजी म. सा., सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में दशवेकालिक सूत्र की गाथा का महा मंगलकारी अनुष्ठान आज संपन्न हुआ।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी संयमलता ने कहा कि आज समाज में जितनी बुराइयाँ, अहं, ईर्ष्या, मोह, क्रोध, लड़ाई-झगड़े, मन- मुटाव आदि विकार हैं, जितनी भी कुरीतियाँ, रूढ़ियाँ, पाखंड, पापाचरण समाज में व्याप्त हैं; इन सबके मूल में अज्ञान व झूठे मत की श्रद्धान ही है। यदि अज्ञान व झूठी श्रद्धान का नाश हो जावे, तो इन सारे खुराफातों का खात्मा हो सकता है। और अज्ञान का नाश करने की क्षमता स्वाध्याय में है। इसी के द्वारा आत्मा का कल्याण हो सकता है।