उदयपुर, 30 मई। देश की स्वाधीनता के लिए दो आजीवन कारावास की सजा पाने वाले विनायक दामोदर सावरकर को समझने के लिए उनके बारे में गहराई से पढ़ना आवश्यक है।
यह बात मंगलायत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परमेन्द्र दशोरा ने भारतीय इतिहास संकलन समिति उदयपुर के तत्वावधान में सावरकर जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर कही। हिन्दुत्व एक राष्ट्रीय दर्शन विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में प्रो. दशोरा ने कहा कि सावरकर के हिन्दुत्व के दर्शन में समरसता, समानता और समभाव समाया हुआ है। इसे समझने के लिए उनके साहित्य को पढ़ना होगा। सावरकर ने हिन्दू समाज में उस समय व्याप्त छुआछूत जैसी कुरीतियों को भी दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए इतिहास संकलन समिति के क्षेत्रीय संगठन मंत्री छगनलाल बोहरा ने की। उन्होंने भी सावरकर के जीवन की घटनाओं को सुनाते हुए उनके भारतीय दर्शन पर प्रकाश डाला। गोष्ठी में मदन मोहन टांक, इंदरसिंह राणावत, डॉ. दीक्षिता अजवाणी, हर्षवर्धन सिसोदिया, नरेन्द्र सिंह सिसोदिया ने भी विचार रखे। अतिथियों का स्वागत जिलाध्यक्ष डॉ. जीवन सिंह खरकवाल ने किया और संचालन डॉ. कुलशेखर व्यास ने तथा धन्यवाद ज्ञापन चैनशंकर दशोरा ने किया।