फतहनगर। नगर की द्वारिकाधीश भूमि पर बागला परिवार के सौजन्य से चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को कथा प्रवक्ता संत दिग्वििजयरामजी महाराज ने कहा कि संत सेवा से भगवत कृपा मिलना निश्चित है।
आज श्रीमद्भागवत कथा में कथा मर्मज्ञ पूज्य श्री दिग्विजयरामजी महाराज द्वारा कथा की भव्य संगीत एवं झांकीमय प्रस्तुति दी गयी। आज कथा में सन्त अमृतराम महाराज, निर्मलराम महाराज, मोक्षुराम महाराज एवं गोऋषि सन्त प्रकाशदास महाराज का पदार्पण हुआ।
कथा के तीसरे दिन भक्त ध्रुव चरित्र, यज्ञनारायण प्रसंग, ऋषभदेव अवतार, जड़ भरत प्रसंग,अजामिल उद्धार, ऋषि दधीचि प्रसंग, हिरणाकश्यप प्रसंग, श्री नृसिंह अवतार एवं भक्त प्रह्लाद की कथा का झांकीमय वर्णन किया गया।
कथा के दौरान उन्होने कहा कि संसार नश्वर है। संत का जीवन लोक कल्याण, राष्ट्रभक्ति को समर्पित होता है। धर्म जीव हत्या नहीं सिखाता है। कर्मानुसार फल प्राप्त होते है। जब मन संत सेवा में लगे तो भगवत कृपा मिलना निश्चित है। बसंत प्रकृति को और सन्त जीवन को प्रफ्फुलित करते हैं। कर्म में लिखा अमिट होता है। भक्ति से ही धर्म की रक्षा होगी। विद्या से विनम्रता आती है। संस्कार सम्पति से मूल्यवान है। एक गलत कदम जीवन को नष्ट कर देता है। आज के संसार में छोटी छोटी बातों से सम्बन्ध टूट रहे हैं। सनातन धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है। आज युवा पीढ़ी समरसता की जगह गलत आचरण और राह पर चल रही है। जिन माता पिता को प्यार के दो बोल चाहिए वह तिरस्कृत होकर वृद्धाश्रमों में रोते हुए जीवन व्यतीत कर रहे हैं। राग द्वेष से कुछ नहीं पाया जा सकता। जैसा भाव होगा वैसा ही फल मिलेगा। संतों ने कहा है कि हरिनाम के बाद जिसमे राग द्वेष नहीं है, घर में प्रेम है तो मोक्ष निश्चित रूप से प्राप्त किया जा सकता है। नित्य हरिनाम ॐ नमः वासुदेवाय का सुमिरण करना चाहिए। कथा के विश्राम के बाद महाआरती की गई एवं प्रसाद वितरण किया गया। शाम को गोऋषि सन्त प्रकाशदास महाराज की स्वर लहरियों के साथ विशाल भजन संध्या का आयोजन हुआ।