महाशिवरात्रि विशेष
-सुभाष शर्मा
उदयपुर। महा शिवऱात्रि पर्व को लेकर देश भर में तैयारियां जारी हैं और उदयपुर में भी। उदयपुर का नाम आते ही मेवाड़ और महाराणा शब्द स्मरण में आ जाते हैं लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि मेवाड़ के शासक महाराणा नहीं, बल्कि भगवान महादेव को माना जाता रहा है। मेवाड़ के महाराणा खुद को भगवान का दीवान मानते थे। आज भी उदयपुर—नाथद्वारा मार्ग पर कैलाशपुरी स्थित भगवान एकलिंगनाथ का प्राचीन मंदिर है और यहां विराजित भगवान एकलिंगजी को ही मेवाड़ का शासक माना जाता है।
उदयपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी में भगवान एकलिंगजी का भव्य मंदिर है, जो मेवाड़ प्रांत के महाराणा और राजपूत परिवारों के कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैंं। जब कभी मेवाड़ का राजा किसी युद्ध में जाता था तो पहले एकलिंग जी की पूजा—अर्चना करता था और उनका आशीष लेता था। राजा जिसे हमीर सिंह प्रथम के शासन के दौरान उनकी वीरता के चलते उन्हें महाराणा का दर्जा मिला और यहां का राजपरिवार का मुखिया अपने नाम के आगे महाराणा लगाने लगे। ये सभी शासक अपने आप को भगवान एकलिंग नाथ का दीवान ही मानते रहे।
देश का एकमात्र लकुलिष महादेव मेवाड़ में
मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया और एकलिंग की मूर्ति की प्रतिष्ठापना की थी। यह शिव के 18 अवतारों में से एक लकुलिष का अवतार है। यह देश में एक मात्र लकुलिष का मंदिर माना जाता है। बाद में यह मंदिर टूटा और पुन: बना था। वर्तमान मंदिर का निर्माण महाराणा रायमल ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। यहां पर स्थित शिवलिंग की मूर्ति के चारों ओर मुख बने हुए हैं। अर्थात यहां पर भगवान शिवजी एक चतुर्मुखी शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। एकलिंगजी के चार चेहरे भगवान शिव के चार रूपों को दर्शाते हैं। पूरब दिशा की तरफ का चेहरा सूर्य देव के रूप में पहचाना जाता है, पश्चिम दिशा की तरफ का चेहरा भगवान ब्रह्मा को दर्शाता है, उत्तर दिशा की तरफ का चेहरा भगवान विष्णु और दक्षिण की तरफ का चेहरा रूद्र स्वयं भगवान शिव का है। मंदिर के गर्भगृह का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में और गर्भगृह के सामने पीतल धातु से बनी शिव के वाहन नन्दी की मूर्ति है।
108 देवी देवताओं के छोटे मंदिर
भगवान एकलिंग नाथ मंदिर परिसर में 108 देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर स्थित हैं और इन मंदिरों के बीच में श्री एकलिंग जी मंदिर स्थापित हैं। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने आज्ञा किसी को भी नहीं हैं। श्री एकलिंग जी दर्शन एवं वंदना बाहर रहकर ही करनी पड़ती है। एकलिंगजी मदिर में श्री एकलिंगजी का शृंगार फूलों व रत्नों से प्रतिदिन किया जाता है। यहां महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तों की भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि पर उदयपुर से हजारों भक्त पैदल ही भगवान एकलिंगनाथ का दर्शन करने जाते हैं और जिला प्रशासन भी विशेष व्यवस्था करता है।
मेवाड़ में महाराणा नहीं, महादेव को मानते थे शासक
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