राष्ट्रीय युवा कवि सम्मेलन नवांकुर-25
उदयपुर, 19 जनवरी। उदयपुर में आयोजित राष्ट्रीय युवा कवि सम्मेलन नवांकुर-25 ने साहित्य प्रेमियों के दिलों में एक अद्वितीय छाप छोड़ी। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के नए ऑडिटोरियम में संपन्न हुए इस कार्यक्रम ने युवा कवियों के रचनात्मक विचारों और साहित्यिक प्रतिभा को मंच प्रदान किया।
कार्यक्रम का आयोजन जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, आर.एन.टी मेडिकल कॉलेज और द स्कॉलर एरिना सीनियर सेकेंडरी स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने की। मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. लोकेश भारती रहे। विशिष्ट अतिथियों में पारस सिंघवी, डॉ विपिन माथुर, डॉ. कमलेश शर्मा, ओ.पी. शर्मा और राहुल बडाला मौजूद रहे।
कवि निर्भय निश्चल (अयोध्या), योगिनी काजोल (पटना), वैभव अवस्थी (बनारस), रजत राव (अहमदाबाद), भावना लोहार (आमेट), अंशुमान आजाद (बिनोता), रोहिणी पंड्या (बांसवाड़ा), नरेंद्र सिंह रावल (नाथद्वारा), अभिषेक शर्मा (चिकारड़ा), दिव्यांश जैन (मंदसौर), उत्कर्ष उत्तम (बरेली, उत्तर प्रदेश), भानु सक्सेना (शाहजहांपुर) और विदुषी जैन (उदयपुर) ने अपनी कविताओं के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया।
मंच संचालन उदयपुर की विदुषी जैन ने किया। कवि राव अजातशत्रु के मार्गदर्शन ने कार्यक्रम को और भी सफल बनाया। आयोजक डॉ. लोकेश जैन ने बताया कि यह सम्मेलन न केवल युवा कवियों के लिए एक प्रेरणादायक मंच साबित हुआ, बल्कि साहित्य प्रेमियों को भी नवीन और रोचक काव्य रचनाओं से रूबरू होने का अवसर प्रदान किया।
भानु सक्सेना ने समर अभिमन्यु जैसा लड़ रहे हैं, थके हैं हम मगर हारे नहीं है…, उत्कर्ष उत्तम ने सरकार की तरह तू चाहे कितना बदल ले …, दिव्यांश जैन ने वो नील गगन का उदयमान ऊर्जा का दिव्यमान है…, रोहिणी पण्ड्या ने बोलने लगी बनास यूँ हल्दीघाटी मध्य, कैसे समर में तलवार बोलने लगी .., अंशुमान आजाद ने उदय सिंह का उदय, मैं सूर्यवंशी पहचान हूं, कल भी जिससे कॉप उठे, मैं उस एकलिंग का दीवान हूं… अभिषेक शर्मा ने जिस माटी का रंग भूरा, उसी ने रक्त पान किया… , रजत राव ने सारे अहसास में तुमको रखना पग, यात्रा के पास में तुमको रखना पग…, नरेंद्र सिंह रावल ने मूं जियो जतरे राणा जी मैं करी थारी चाकरी…, भावना लौहार ने महा उद्घोष का कैसा बनाया कम शिकागो में, विवेकानंद में फहरा दिया परचम शिकागो में… योगिनी काजोल ने सखी श्याम जी डारे नजरिया की भीग मेरो अंग गयो, बड़ो नटखट है श्याम सांवरिया की भीगी मेरा अंग गयो… वैभव अवस्थी ने त्याग व बलिदान देने में रहा चट्टान सा, चढ़ गया तलवार पर पानी है राजस्थान का तथा निर्भय निश्चल ने जो दूसरों के शेर चोरी करके पड़ता है किसी जमाने में रचना सुनाई। आभार द स्कॉलर्स एरिना की निदेशिका डॉ. शर्मिला जैन ने ज्ञापित किया।