मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान 2024
देश की प्रगति के लिए युवाओं को अपनाना होगा राष्ट्र प्रथम का सूत्र
2047 तक विकसित भारत के हवन में युवाओं की आहुति महत्वपूर्ण
वोकल फोर लोकल एवं ‘वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट‘ पर देना होगा बल
उदयपुर, 16 नवम्बर। भारत के उपराष्ट्रपति माननीय श्री जगदीप धनखड़ ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि देश की प्रगति के लिए युवाओं को राष्ट्र प्रथम का सूत्र अपनाना होगा। विकसित भारत का संकल्प युवाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं है। आज के तकनीकी बदलाव के दौर में ’ज़ॉब सीकर’ बनने की बजाय ’जॉब क्रिएटर्स’ बनें क्योंकि पूरी दुनिया उनकी तरफ आशा भरी नज़र से देख रही है।
श्री धनखड़ शनिवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। माननीय उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक ही किसी संस्थान की रीढ़ होते हैं और उन्हीं की वजह से उन संस्थानों का नाम भी होता है। युवा विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि वे देश के असली कर्णधार है। इसलिए सकारात्मक ऊर्जा के साथ नवाचारों और तकनीक के साथ आगे बढ़ें। कार्यक्रम में उनकी धर्मपत्नी डॉ सुदेश धनखड़ भी बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहीं।
भारत तीसरी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर :
देश की प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि आज देश 4 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी है और हमारी विकास दर लगभग 8 प्रतिशत है। हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर हैं। हम हर दृष्टि से ग्लोबल पावर बनने की ओर बढ़ रहे हैं। अभी वर्तमान में प्रतिवर्ष 8 नए एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं। हर दो वर्ष में तीन से चार नई मेट्रो रेल सेवाएं प्रारम्भ की जा रही है। प्रतिदिन 28 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जा रहा है और 12 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का निर्माण हो रहा है। यहीं नहींं पिछले 10 वर्षों में 50 करोड़ लोगों को बैंकों से जोड़ा गया है। प्रत्येक घर से सोलर ऊर्जा का उत्पादन करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आज भारत में होने वाले डिजीटल ट्रांजेक्शन अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी के कुल ट्रांजैक्शन से भी अधिक हैं।
देश की प्रगति के लिए युवाओं को अपनाना होगा राष्ट्र प्रथम का सूत्र
2047 तक विकसित भारत के हवन में युवाओं की आहुति महत्वपूर्ण
वोकल फोर लोकल एवं ‘वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट‘ पर देना होगा बल
उदयपुर, 16 नवम्बर। भारत के उपराष्ट्रपति माननीय श्री जगदीप धनखड़ ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि देश की प्रगति के लिए युवाओं को राष्ट्र प्रथम का सूत्र अपनाना होगा। विकसित भारत का संकल्प युवाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं है। आज के तकनीकी बदलाव के दौर में ’ज़ॉब सीकर’ बनने की बजाय ’जॉब क्रिएटर्स’ बनें क्योंकि पूरी दुनिया उनकी तरफ आशा भरी नज़र से देख रही है।
श्री धनखड़ शनिवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। माननीय उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक ही किसी संस्थान की रीढ़ होते हैं और उन्हीं की वजह से उन संस्थानों का नाम भी होता है। युवा विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि वे देश के असली कर्णधार है। इसलिए सकारात्मक ऊर्जा के साथ नवाचारों और तकनीक के साथ आगे बढ़ें। कार्यक्रम में उनकी धर्मपत्नी डॉ सुदेश धनखड़ भी बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहीं।
भारत तीसरी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर :
देश की प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि आज देश 4 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी है और हमारी विकास दर लगभग 8 प्रतिशत है। हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर हैं। हम हर दृष्टि से ग्लोबल पावर बनने की ओर बढ़ रहे हैं। अभी वर्तमान में प्रतिवर्ष 8 नए एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं। हर दो वर्ष में तीन से चार नई मेट्रो रेल सेवाएं प्रारम्भ की जा रही है। प्रतिदिन 28 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जा रहा है और 12 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का निर्माण हो रहा है। यहीं नहींं पिछले 10 वर्षों में 50 करोड़ लोगों को बैंकों से जोड़ा गया है। प्रत्येक घर से सोलर ऊर्जा का उत्पादन करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आज भारत में होने वाले डिजीटल ट्रांजेक्शन अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी के कुल ट्रांजैक्शन से भी अधिक हैं।
भ्रष्टाचार पर लगा अंकुश :
उपराष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार को विकास के लिए बाधक बताते हुए कहा कि नए भारत में आज भ्रष्टाचारियों से कानूनी एजेंसियां सख्ती से निपट रही हैं। यही वजह है कि यहां कार्य करने की विपुल संभावनाएं निर्मित हुई हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार भारत निवेश के लिए बेहतरीन स्थान बनकर उभरा है।
उपराष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार को विकास के लिए बाधक बताते हुए कहा कि नए भारत में आज भ्रष्टाचारियों से कानूनी एजेंसियां सख्ती से निपट रही हैं। यही वजह है कि यहां कार्य करने की विपुल संभावनाएं निर्मित हुई हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार भारत निवेश के लिए बेहतरीन स्थान बनकर उभरा है।
आउट ऑफ बॉक्स जाकर सोचें, जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बनेंः
माननीय उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी नौकरियों के अलावा भी देश में रोजगार के कई अवसर हैं। हमारे युवा साथियों को ऐसे अवसरों को तलाशने की आवश्यकता है। स्पेस अर्थव्यवस्था, ब्लू इकोनामी, मशीन लर्निंग आदि कई नई संभावनाएं उभर कर सामने आई हैं। एक समय था जब कोई भारतीय किसी बड़े वैश्विक उद्योग घराने में नहीं था, आज एक भी वैश्विक उद्योग समूह ऐसा नहीं है इसके प्रबंधन में भारतीय ना हो। युवाओं को आउट ऑफ बॉक्स सोचने की आवश्यकता है। उन्हे जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बनने के प्रयास करने चाहिए ताकि अन्य को रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम हो सके। 2047 के विकसित भारत के राष्ट्रव्यापी हवन में युवाओं द्वारा दी जाने वाली आहुति काफी महत्वपूर्ण है। युवाओं को राष्ट्र प्रथम की नीति पर अमल करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए।
माननीय उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी नौकरियों के अलावा भी देश में रोजगार के कई अवसर हैं। हमारे युवा साथियों को ऐसे अवसरों को तलाशने की आवश्यकता है। स्पेस अर्थव्यवस्था, ब्लू इकोनामी, मशीन लर्निंग आदि कई नई संभावनाएं उभर कर सामने आई हैं। एक समय था जब कोई भारतीय किसी बड़े वैश्विक उद्योग घराने में नहीं था, आज एक भी वैश्विक उद्योग समूह ऐसा नहीं है इसके प्रबंधन में भारतीय ना हो। युवाओं को आउट ऑफ बॉक्स सोचने की आवश्यकता है। उन्हे जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बनने के प्रयास करने चाहिए ताकि अन्य को रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम हो सके। 2047 के विकसित भारत के राष्ट्रव्यापी हवन में युवाओं द्वारा दी जाने वाली आहुति काफी महत्वपूर्ण है। युवाओं को राष्ट्र प्रथम की नीति पर अमल करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए।
वेद-पुराण हमारी अनमोल धरोहर :
माननीय उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। एक पेड़ मां के नाम अभियान एक क्रांति की शुरूआत है जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल कही जा सकती है। वेद, उपनिषद पुराण इत्यादि पौराणिक ग्रंथ हमारी अनमोल धरोहर हैं। सभी युवाओं को इन्हें अवश्य ही पढ़ना चाहिए। कुटुम्ब में बड़ों का आदर-सम्मान करना हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा है। अपने छात्र जीवन के संघर्षों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज छात्रों को दुनिया में सबसे उन्नत एवं नवीनतम सुविधा उपलब्ध है। धनखड़ दम्पति ने सभागार परिसर में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधा भी रोपा।
माननीय उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। एक पेड़ मां के नाम अभियान एक क्रांति की शुरूआत है जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल कही जा सकती है। वेद, उपनिषद पुराण इत्यादि पौराणिक ग्रंथ हमारी अनमोल धरोहर हैं। सभी युवाओं को इन्हें अवश्य ही पढ़ना चाहिए। कुटुम्ब में बड़ों का आदर-सम्मान करना हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा है। अपने छात्र जीवन के संघर्षों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज छात्रों को दुनिया में सबसे उन्नत एवं नवीनतम सुविधा उपलब्ध है। धनखड़ दम्पति ने सभागार परिसर में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधा भी रोपा।
वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने की जरूरत :
श्री धनखड़़ ने कहा कि आयातित उत्पादों से स्थानीय लोगों के रोजगार पर संकट खड़ा होता है। ऐसे में वोकल फॉर लोकल महज एक नारा नहीं, हमें इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाना होगा। इसका सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। विश्व की तीसरी की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के अलावा प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने पर भी जोर होना चाहिए। इसके लिए कृषि जैसे क्षेत्र पर विशेष काम करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग एक ट्रस्ट की तरह करना चाहिए। इनके शोषण की जगह दोहन पर ध्यान देना होगा।
इससे पूर्व सुखाड़िया विश्वविद्यालय की वीसी प्रो. सुनीता मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों व भावी कार्ययोजनाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सुखाड़िया विवि ने नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम लागू कर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिब्द्धता को साबित किया है।
श्री धनखड़़ ने कहा कि आयातित उत्पादों से स्थानीय लोगों के रोजगार पर संकट खड़ा होता है। ऐसे में वोकल फॉर लोकल महज एक नारा नहीं, हमें इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाना होगा। इसका सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। विश्व की तीसरी की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के अलावा प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने पर भी जोर होना चाहिए। इसके लिए कृषि जैसे क्षेत्र पर विशेष काम करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग एक ट्रस्ट की तरह करना चाहिए। इनके शोषण की जगह दोहन पर ध्यान देना होगा।
इससे पूर्व सुखाड़िया विश्वविद्यालय की वीसी प्रो. सुनीता मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों व भावी कार्ययोजनाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सुखाड़िया विवि ने नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम लागू कर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिब्द्धता को साबित किया है।