उदयपुर, 27 सितम्बर। नवरतन कॉम्पलेक्स में चातुर्मास कर रहे पंन्यस प्रवर निरागरत्न विजय जी म.सा. ने शुक्रवार को धर्मसभा में कहा कि दुनिया का हर एक जीव सुख के लिए लिप्सु और दुःख के द्वेषी है। किसी को भी दुःख की इच्छा नहीं होती। दुःख से बचना है तो पाप से बचना होगा और पाप से बचने के लिए ज्ञान होना जरूरी है। जितने प्रमाण में अज्ञान होगा उतने प्रमाण में दुःख आता रहेगा। सुख नॉलेज से नहीं ज्ञान से आता है। जीवन में कोई ऐसे गुरू रखें जो आपकी हर क्रिया पर साईन कर सके। फिर वो गुरू के तौर पर माता-पिता-मित्र भी हो सकते हैं। गुरू की साइन आपके दो बड़े दोष को घात करेगी-स्वच्छंदता और सुजशीलता। वैसे हमारे पाप या धर्म सभी क्रिया में गुरू की साइन का लाईसेंस होगा तो पतन से बच जाएंगे, फिर वो कोई भी क्षेत्र हो चाहे वो भोजन, बिजनेस, खर्चा, विवाह या घर कहां, कैसा होना चाहिए ? हर क्षेत्र में गुरू आपको साइन देने को तैयार लेकिन आपकी तैयारी कितनी ? जिस प्रकार शरीर और सम्पति के क्षेत्र में डॉक्टर, वकील और सी.ए. से झूठ नहीं वैसे ही आत्मा के क्षेत्र में भी परमात्म शासन के अंग, परिवार और प्रेम करने वालों से इन तीन स्थानों में झूठ-दंभ कभी मत करना। भरोसा तोड़े उससे सक्रिय प्रेम मत करना और जहाँ सक्रिय प्रेम उसका भरोसा मत तोड़ना।
सुख नॉलेज से नहीं ज्ञान से आता है : निरागरत्न
