उदयपुर, 24 सितम्बर। नवरत्न कॉम्पलेक्स भुवाणा में मंगलवार को आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए पंन्यास प्रवर निरागरत्न विजय जी म.सा. ने फरमाया कि सभी धर्मों में जीवन कैसे जीना वो बताया गया है पर प्रभु शासन में तो मरण कैसा होना चाहिए यह भी बताया है कि आने वाला भव कैसे सुरक्षित होगा ? जीवन बिगड़ा हुआ होगा तो आने वाला एक भव ही बिगड़ेगा। पर मरण बिगड़ा तो आने वाले अनंत भव बिगड़ जाएंगे। बैग में जो लास्ट में डालोगे वो फर्स्ट में निकलेगा। परलोक में भी वैसा, इस भव में जो अंतिम विचार होगा वो ही आने वाले भव का प्रथम विचार होगा। हमारा मरण पूरी जिंदगी क्या किया उससे नहीं पर क्या सोचा उससे नक्की होगा। बुरा तो हमने बहुत किया पर अच्छा भी कोई कम नहीं तो उस अच्छे का फल क्यों नहीं मिला ? तो बुरा-अच्छा दोनों किया तो दोनों में से मजा किसमें ? दान में या बिजनेस में अगर संस्कार नहीं तो मरते वक्त याद नहीं आएगा। गुरू आपको मार्गदर्शन दे सकते हैं पर जबर्दस्ती धर्म नहीं करवा सकते। आपकी गलत प्रवृत्ति से राग-द्वेष होवे या न भी होवे पर गलत संस्कार तो पड़ेंगे ही।
गुरू आपको मार्गदर्शन दे सकते हैं पर जबर्दस्ती धर्म नहीं करवा सकते : निरागरत्न
