जीवन में सुई बनो, कैंची नहीं-साध्वी संयमलता
उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में धर्मसभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा दूसरों की भूल को माफ करना सरल है, पर स्वयं की भूल निकालने वाले को माफ करना बहुत ही मुश्किल हैं। प्रेम सब पर रखो, विश्वास थोड़े पर रखिए, द्वेष किसी पर मत रखिए।
साध्वी ने आगे कहा कि हमें सुई बनने का काम करना है, कैंची बननें का नहीं। यह पर्व द्वार बनाने का संदेश देता है,दिलों में दीवार बनाने का नहीं। सारे वैर विरोध मिटाकर दुश्मनों से, विरोधियों से गले मिल जाए तथा प्रेम की गंगा बहा दें। भूल हो जाना मानव का स्वभाव है किंतु उसे क्षमा कर देना दिव्यता है,दैवी गुण है। किसी से बैर विरोध हो गया है, लड़ाई झगड़ा हो गया है, तेरे दर में गांठ बांधकर रखना पाश्वीक वृत्ति है। नदी में पत्थर का पूल बनाना आसान है पर दो दिलों के बीच मैत्री का पूल बनाना कठिन है।
साध्वी सौरभप्रज्ञा ने आगे कहा हमें क्रोध और अहंकार को मिटाकर प्रेम का दीप जलाना होगा। क्षमा भाव मैत्री की ओर उठा हुआ एक दृढ़ कदम है। इससे टूटे दिल फिर जुड़ जाते हैं और जीवन की गाड़ी पुनः उसी रफ्तार से प्रेम और मैत्री की पटरी पर दौड़ने लगती है। सभी जीव के साथ मेरी मैत्री हो, ऐसी भावना से ही हमारे दिल के आंगन में प्रेम के पुष्प पल्लवित होंगे।चातुर्मास व्यवस्था समिति आदि सभी ने अपने भाग्य की सराहना करते हुए कहा कि सेक्टर 4 में नया कीर्तिमान स्थापित हुआ क्योंकि पर्युषण महापर्व के 8 दिनों में 5 मासखमण,580 तेले तप एवं 100 से अधिक भाई बहनों ने अठाई तप की आराधना की। गुरुवार को महामंगलकारी अनुष्ठान का आयोजन होगा।