उदयपुर। आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी परमयशश्री के सानिध्य में आयोतिज किये जा रहे अणुव्रत सप्ताह उद्बोधन के तहत नशा मुक्ति दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर साध्वी ने कहा कि अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी ने देश मे 1 लाख किमी. की पदयात्रा की। जन-जन को जीने की कला सिखायीं। नशा नाश द्वार है। नशा खतरे की घंटी है। नशे के कारण परिवार तबाह हो रहे है। नशा को उलटा करने से व्यक्ति की शान बढ़ जाती है। उश्रन्होंने कहा कि ऐसे अनेक वाक्य प्रचलित है कि गुटखा आखो गाल गलाओं, शराब पीओं , याददाश्त गमाओं।
साध्वी ने कहा कि पद, पैसे, प्रतिष्ठा,पढ़ाई,शक्ति, रूप आदि का नश तो अनेकों को होता है लेकिन पभु भक्ति में नशा लगता नहंी है और जब लगता है तो तमाम नशे नौ दो ग्यारह हो जाते है। साध्वी परमयशाश्री ने कहा कि दीर्घ श्वंास में प्रेक्षा का प्रयोग करें। मैं नशा नहीं करूंगा,ऐसा तीन बार प्रण करें। समवृत्ति श्वंास का प्रयोग करें।
साध्वी विनम्रयशा श्री न नशामु क्ति दिवस पर कविता के माध्यम से भावों की प्रस्तुति की। कार्यक्रम में साध्वी परमयशाश्री, साध्ची विनम्रयशाश्री,मुक्ताप्रभाश्री और कुमुदप्रभाश्री ने है शराब,कितनी पी करबनते है मदहोश….,गींत का संघान किया।
अणुव्रत समिति उदयपुर की अध्यक्षा प्रणिता तलेसरा ने कहा कि मनुष्य शरीर को लाभ पंहुचानें वाले काजू,बादाम,घी,दूध का सेवन नहंी कर उनके स्थान पर उनसे कई गुना महंगी नशे की वस्तुएं गुटखा,सिगरेट,तम्बाखू,शराब आदि का सेवन कर अपने शरीर को नुकसान पहंुचा रहा है। इस अवसर पर वर्धमान,उषा किरण,एस.एल.इंटोदिया,कार्यक्रम संयोजक प्रकाश बाबेल,मंत्री कुन्दन भटेवरा,नीता खोखावत,मंजू इंटोदिया,अलका बाबेल,सरला अग्रवाल मौजूद थी।