उदयपुर, 20 जुलाई। केशवनगर स्थित अरिहंत वाटिका में आत्मोदय वर्षावास में शनिवार को धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने कहा कि जीवन में सुख पाना है तो चातुर्मास में चार बातों पर अमल करें पहली-सभी जीवों से मैत्री करें, इससे आपका पुण्य बढ़ेगा, जियो और जीने दो का सूत्र सभी जीवों के प्रति मैत्री से ही सार्थक बनता है। दूसरी-जिन भक्ति करें, तीर्थंकर, केवली, सिद्धादि की भक्ति करने से जीव तीर्थंकर गोत्र का बंध कर तीर्थंकर भी बन सकता है, तीसरी-जीवन की शुद्धि करें-इस हेतु संवर, कर्मों की निर्जरा, समता भाव रखते हुए पापों से रोज पीछे हटने का संकल्प करें और चौथी-जीवन में जागृति लाएं, कुमारपाल राजा ने आचार्य हेमचन्द्र जी के सम्पर्क से जैसे अपने जीवन को जागृत बनाया वैसे ही सभी सदप्रवृत्तियों व सदकार्यों को करते हुए जागरूकता लाएं तथा आत्मोन्नति के लिए अपने प्रयास तेज करें। धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि धन न्याय संगत रीति से कमाना चाहिए। नीति से कमाया गया धन व्यक्ति के जीवन में समस्या पैदा नहीं करता। धन कमाना चाहते हैं तो भी धर्म करें। रत्नेश मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि जिसकी वाणी रसवती, क्रिया श्रमवती, लक्ष्मी जिसकी दानवती हो, उसका जीवन सफल हो जाता है। धर्मसभा को महासती श्री पद्मश्री जी म.सा. एवं सिद्धिश्री जी म.सा. ने भी सम्बोधित किया। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के मंत्री पुष्पेन्द्र बड़ाला ने बताया कि 500 तपस्वियों की तेले की तपस्या की पूर्णाहूति रविवार को होगी, जिनका सामूहिक पारणा सोमवार को कराया जाएगा।
जिन भक्ति से जीव तीर्थंकर बन सकता है: आचार्य विजयराज
