सैयद हबीब
उदयपुर 15 अप्रेल / जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय उदयपुर के 16वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि देश के रक्षामंत्री श्री राजनाथसिंह ने कहा कि जीवन में सफलता और विफलता दोनों ही का अपना महत्व है। असफलताएं हमें निखारने आती हैं, असफलता के बाद हमेशा कोशिश जारी रखनी चाहिए और सीखते हुए जीवन में आगे बढना चाहिए। अभिभावक भी अपने बच्चों की योग्यताओं और क्षमताओं का आकलन उनके परिणामों से नहीं करके उनके सीखने के प्रयासों से करें। कोई भी लक्ष्य जीवन से बडा नहीं हो सकता है। युवाओं का परीक्षाओं के दबाव में जीवन को खोना हमारी सामाजिक विफलताओं को बताता है। इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। विद्यापीठ में विज्ञान प्रौद्योगिकी, चिकित्सा आधारित पाठयक्रमों के साथ-साथ प्रताप, मीरा के शोध पीठों का कार्य विद्यापीठ के प्राचीन और नवीनतम विचारों के समन्वय का प्रतीक है। राष्ट्र की वैश्विक प्रगति व विश्व गुरू के सम्मान का आधार उद्यमिता, कौशल विकास और नवीन अनुसंधानों से युक्त आज की युवा पीढी है। सरकार युवाओं के समग्र विकास हेतु लगातार प्रयासरत है। जब तक हम विद्यार्थियों का कॉम्प्रिहेंसिव विकास नहीं करते, तब तक राष्ट्र के संपूर्ण विकास की कल्पना नहीं हो सकती। मैंने कभी जीवन में किसी से ईर्ष्या नहीं की, जलन नहीं की, किसी का पैर खींचने का प्रयास नहीं किया, यह आप भी अपने जीवन में मत करना। लोगों की नजरों में आप गिरते चले जाओगे। देश लगातार आगे बढ रहा है। 2027 तक विश्व की टॉप थ्री इकोनोमी में शामिल हो जाएगा। आज दुनिया के लोग भारत में अपने सपने देख रहे हैं और भारत के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं। आज यदि भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बोलता है तो पूरी दुनिया हमें कान खोलकर सुनती है।
कुलपति प्रो. एस एस सारंदेवोत ने बताया कि समारोह के मुख्य अतिथि देश के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह दिल्ली से विशेष विमान से शनिवार सुबह 10.20 बजे पर डबोक एयरपोर्ट पर पहुंचे व वहां से सीधे प्रतापनगर स्थित विद्यापीठ विश्वविद्यालय परिसर में लगी संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की, एनसीसी के कैडेटस ने रक्षामंत्री को गार्ड आफ ऑनर प्रदान किया। इसके बाद दो करोड़ रूपयों की लागत से तैयार पवेलियन, क्रिकेट स्टेडियम व प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की चेतक आरूढ़ प्रतिमा का लोकार्पण कर नमन किया। कुलपति प्रो सारंगदेवोत ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 32 पी.एचडी धारकों को उपाधियां और 14 स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के स्वर्णपदक प्रदान किए। समारोह की शुरूआत में रित्विका अकादमिक प्रोसेशन से हुई। कर्नाटक भाजपा उपाध्यक्ष डॉ. तेजस्विनी अनंत कुमार को जनार्दनराय नागर संस्कृति रत्न सम्मान से नवाजा गया जिसके तहत उन्हें रजत पत्र, प्रतीक चिन्ह, उपरणा, पगड़ी, प्रशस्ति पत्र व एक लाख रूपये नकद राशि दी गई। यह सम्मान उन्हें अपने अगम्य चेतना फाउण्डेशन द्वारा भारतीय समाज, संस्कृति, प्रकृति व बच्चों की उन्नति हेतु विशिष्ट कार्यों को करने केे लिए प्रदान किया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह, शिक्षाविद् एवं समाजसेवी अनिल सिंह, दीनदयाल उपाध्याय विवि गोरखपुर युपी के कुलपति प्रो. राजेश सिंह, श्रीगोविन्द गुरू विवि गोधरा के कुलपति प्रो. प्रताप सिंह चौहान, कुल प्रमुख बीएल गुर्जर, रजिस्ट्रार हेमशंकर दाधीच ने भी विचार व्यक्त किए।
अपने बेहद विनम्र व आत्मीय वक्तव्य में रक्षामंत्री राजनाथसिंह ने कहा कि बौदिधक विकास के साथ-साथ हमें विद्यार्थियों के आध्यात्मिक विकास की ओर सभी ध्यान देना होगा। आध्यात्मिकता का अर्थ मन को बड़ा करना है। संस्कारों के समाज पर प्रभाव को बताते हुए उन्होंने कहा कि संस्कार युक्त युवा जहां एक ओर समाज के लिए कल्याणकारी होता है वहीं संस्कार रहित युवा समाज के लिए विनाशकारी होता है। भारतीय सभ्यता का आधार हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत है। यही कारण है कि हजारों वर्षों बाद भी भारतीय संस्कृति अपने अस्तित्व को बनाए हुए है। लंबे कालखंड में भारतीय सभ्यता ने भौतिक उठापटक के दौर देखे लेकिन संस्कारों और आध्यात्मिकता का अस्तित्व आज भी बना हुआ है। उदयपुर आकर अभिभूत हुए रक्षामंत्री ने कहा कि जब भी मैं राजस्थान में आता हूं मुझे राणा की शक्ति, मीरा की भक्ति, पन्नाधाय की युक्ति और भामाशाह की संपत्ति स्वाभाविक रूप से ध्यान में आती है। राजस्थान की हवाओं में उनकी कथाएं बराबर तैरती रहती है। दीक्षांत समारोह में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ परिवार के सदस्यों के बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। राजस्थान की इस महान भूमि ने ब्रह्मगुप्त जैसे एकेडमीशियन दिये हैं जिन्होंने मैथमेटिक्स के क्षेत्र में दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। युवा साथियों को हृदय से बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने पिछले वर्षों में कड़ी मेहनत से लगन और समर्पण के साथ काम किया है और उसका प्रतिफल वह आज डिग्री के रूप में प्राप्त कर रहे हैं। क्योंकि मैंने भी विश्वविद्यालय का जीवन जिया है। इसलिए मैं उस खुशी को सहज रूप से अनुभव कर सकता हूं। मैं विद्यापीठ के सभी शिक्षकों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने विद्यार्थियों के सपनों को पंख दिए हैं। मैं आपके माता-पिता को भी बधाई देता हूं। संयोग से मैं भी एक शिक्षक रहा हूं इसलिए आप सभी को होने वाले आनंद की भी सहज रूप से अनुभूति कर सकता हूं।
नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि राजस्थान और देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में से एक
उन्होंने कहा कि यह आप सभी के ही परिश्रम का फल है कि जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि राजस्थान और देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में से एक है। आप सभी समृद्ध रूप से प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद एवं स्वाधीनता सेनानी पंडित जनार्दन राय नागर के सपनों को आकार दे रहे हैं और राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उल्लेखनीय है कि यह विद्यापीठ अपने स्थापना काल से ही शिक्षा, साहित्य संस्कृति इतिहास के क्षेत्रों में विविध प्रकार की कार्य योजनाओं को धरातल पर उतारते हुए राष्ट्र और समाज की चहुमुखी प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। राजस्थान विद्यापीठ ने कई उच्च कोटि के शोध कार्य किए हैं। माइनिंग के क्षेत्र में भी इस विश्वविद्यालय के कार्यों की गिनती अग्रिम पंक्ति में की जाती है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा जो योजनाएं प्रारंभ की गई हैं उन्हें विश्वविद्यालय ने अपनाया है इसके लिए मैं विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं।
मुझे शूरवीर पराक्रमी और उदयपुर की धरती के सपूत महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रतिमाएं हमारी महान विभूतियों के विचारों और संस्कारों की विरासत को सहेज कर रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम होती है, उन विभूतियों के सम्मान और उनके प्रति कृतज्ञता का भी यह प्रतीक होती है। लगभग 500 साल बाद भी महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण होना व यहां स्थापित होना यह बताता है कि चाहे कितना भी समय गुजर गया हो, चाहे पीढ़ियां कितने भी आगे बढ़ गई हो, हमारे समाज और राष्ट्र में प्रताप का प्रताप सदैव विद्यमान रहेगा इससे यह संदेश स्पष्ट जाता है। मैं उनकी स्मृति को भी प्रणाम एवं नमन करता हूं। एक शैक्षणिक संस्थान में प्रतिमा की स्थापना यह विश्वास दिलाती है कि हमारी आगामी पीढ़ी ना केवल शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्र और समाज की भौतिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रही है बल्कि उनके ह्रदय में देश प्रेम और राष्ट्रीय भावना का भी संचार करने के लिए शिक्षण संस्थान कोशिश कर रही है इसके लिए मैं इस शिक्षण संस्थान को बधाई देता हूं।
प्राचीन दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि भले ही हम मस्तिष्क को कितनी भी शिक्षा क्यों ना दे दे लेकिन हृदय यदि परिवर्तन नहीं करते है तो उस शिक्षा का कोई महत्व नहीं होता है। यानी हम बच्चों को कितना भी बड़ा आदमी क्यों ना बना दे पर जब तक हम उनके मन में राष्ट्र समाज संस्कृति और अपनी महान विभूतियों के संस्कार नहीं पैदा करते तब तक व्यक्तित्व का समग्र विकास संभव नहीं हो सकता और जब तक हम विद्यार्थियों और नागरिकों का समग्र विकास नहीं करते हैं तब तक राष्ट्र के संपूर्ण विकास की कल्पना भी कभी नहीं कर सकते। अंतरराष्ट्रीय जगत में यदि हम भारत का मस्तिष्क ऊंचा करना चाहते हैं तो यह तब तक संभव नहीं है जब तक हर व्यक्ति की पर्सनालिटी का कंप्रिहेंसिव डेवलपमेंट ना हो।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने संस्थान की विकास यात्रा व उत्कृष्ट कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि आज विद्यापीठ ने हर क्षेत्र में अपने आप को उत्कृष्ट मापदंडानुसार साबित किया है। उन्होंने विद्यार्थियों को भावी जीवन में सफलता के साथ-साथ संस्कारों से परिपूर्ण भारतीय विचारधारा को अपनाने व बनाए रखने का आहृवान किया। संस्थापक मनीषी पं जनूभाई ने 1937 में तीन रूपए व पांच कार्याकर्ताओं के साथ जो शिक्षा की अलख आदिवासी अंचल व सुदूर क्षेत्रों में जगाने का जो महायज्ञ शुरू किया वह आज 10 हजार विद्यार्थियों की संस्थान के रूप में वटवृक्ष का रूप ले चुका है। आज विद्यापीठ 40 से अधिक पाठ्यक्रमों का संचालन सफलतापूर्वक कर रहा है।
यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो डीपी सिंह ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में तकनीकों के साथ भारतीय मूल्यों और विचारों को प्राथमिकता से शामिल करने और विद्यार्थियों को एक उत्कृष्ट विचारधारा एवं दृष्टि देने के लिए शिक्षा संस्थाओं का आह्वान किया। उन्होंने विद्यापीठ द्वार इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की। सांसद अर्जुनलाल मीणा ने बधाई दी व केंद्र सरकार से आह्वान किया कि केंद्र सरकार विश्वविद्यालय को अनुदान प्रदान करें। कुलाधिपति प्रो बलवंतराय जानी ने औपनेवेशिक समय में भारतीय संस्कृति व मूल्यों से युक्त विचारधारा पर आधारित इस संस्थान की शुरूआत और वर्तमान स्वरूप तक की विराट यात्रा के बारे में बताया व कहा कि पं मदनमोहन मालवीय, स्वामी विवेकानंद और मनीषी पं जनार्दनाराय नागर तीनों के वैचारिक मूल्यों और दर्शन की उत्कृष्टता आज संस्थान द्वारा विद्यार्थियों में पोषित की जा रही है जिससे राष्ट्र अपने परम वैभव की प्राप्ति पुनः कर सके।
इस अवसर पर उप महापौर पारस सिंघवी, समाजसेवी कुबेरसिंह चावडा, भाजपा जिला प्रभारी बंशीलाल खटीक, पूर्व विधायक दलीचंद डांगी, विद्या प्रचारिणी सभा के सेक्रेट्र महेंद्रसिंह आगरिया, एमडी डॉ मोहब्बतसिंह रूपाखेडी, ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के अध्यक्ष एकलिंगसिंह झाला, डीन डॉ रेनू राठौड, डॉ अनिता राठौड पूर्व कुलपति प्रो एनएस राठौड, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, जिला प्रमुख ममता पंवार, देहात अध्यक्ष चंद्रगुप्तसिंह चौहान, प्रमोद सामर, महामं़त्री गजपालिसिंह राठौड, पूर्व मंत्री चुन्नीलाल गरासिया, पूर्व विस अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत, राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी, पीठ स्थवीर डॉ कौशल नागदा, डॉ सरोज गर्ग, डॉ रचना राठौड, डॉ लिली जैन, डॉ अमी राठौड, प्रो जीवनसिंह खरकवाल, प्रो मंजू मांडोत, प्रो शैलेंद्र मेहता, प्रो मलय पानेरी, डॉ युवराजसिंह राठौड, डॉ भवानीपालसिंह, डॉ पारस जैन, डॉ दिलीपसिंह चौहान, डॉ हेमेंद्र चौधरी, डॉ तरूण श्रीमाली, डॉ मनीष श्रीमाली, प्रेमसिंह शक्तावत, महेंद्रसिंह शेखावत, साहित्यकार किशन दाधीच, डॉ प्रवीण खंडेलवाल, अनंत गणेश त्रिवेदी, उप प्रधान प्रतापसिंह चौहान, हिमांशुराजसिंह झाला सहित गणमान्य नागरिक मौजूद थे।