– आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृृंखला जारी
उदयपुर 22 अगस्त। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में मंगलवार को बाल ब्रहमचारी नेमिनाथ भगवान का दीक्षा कल्याणक महोत्सव मनाया गया। साध्वियों को शास्त्र बहोराने का लाभ शान्ता देवी -ललित नाहर, कुलदीप नाहर परिवार ने लिया। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि इस दौरान आयोजित प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि परमात्मा नेमिनाथ करुणा शील दयालु है। शादी करने आये थे परन्तु वाड़े के अंदर पशुओं की करुण पुकार सुनी, जानकारी प्राप्त की और उन मूक प्राणियों को अभयदान देकर छुडवा कर स्वयं गिरनार तीर्थ पर जाकर संयम स्वीकार कर रागी से वैरागी बन गये, भोगी से योगी बन गये। परमात्मा नेमीनाथ के साथ एक हजार व्यक्तियों ने भी संयम ग्रहण कर मुक्ति पद को प्राप्त किया ऐसे परमात्मा की भक्ति करने सामूहिक रूप से श्री नेमिनाथ भगवान का सिलोका का वाचन किया गया। परमात्मा की भक्ति ही मुक्ति की प्रति है। भक्ति करने के लिए हमारे जीवन में उत्तरोत्तर भावों की वृद्धि लानी है। हमारे कर्मों की निर्जरा करती है। सेवक बनकर हमें हासिल करना है। महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
उदयपुर 22 अगस्त। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में मंगलवार को बाल ब्रहमचारी नेमिनाथ भगवान का दीक्षा कल्याणक महोत्सव मनाया गया। साध्वियों को शास्त्र बहोराने का लाभ शान्ता देवी -ललित नाहर, कुलदीप नाहर परिवार ने लिया। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि इस दौरान आयोजित प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि परमात्मा नेमिनाथ करुणा शील दयालु है। शादी करने आये थे परन्तु वाड़े के अंदर पशुओं की करुण पुकार सुनी, जानकारी प्राप्त की और उन मूक प्राणियों को अभयदान देकर छुडवा कर स्वयं गिरनार तीर्थ पर जाकर संयम स्वीकार कर रागी से वैरागी बन गये, भोगी से योगी बन गये। परमात्मा नेमीनाथ के साथ एक हजार व्यक्तियों ने भी संयम ग्रहण कर मुक्ति पद को प्राप्त किया ऐसे परमात्मा की भक्ति करने सामूहिक रूप से श्री नेमिनाथ भगवान का सिलोका का वाचन किया गया। परमात्मा की भक्ति ही मुक्ति की प्रति है। भक्ति करने के लिए हमारे जीवन में उत्तरोत्तर भावों की वृद्धि लानी है। हमारे कर्मों की निर्जरा करती है। सेवक बनकर हमें हासिल करना है। महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।