चचेरे भाई ने ई—मित्र संचालक के खाते में 11 लाख की साइबर ठगी की, नगद पैसा लेने के बाद खाता फ्रीज हुआ

डूंगरपुर, 25 जनवरी। डूंगरपुर साइबर ठगी का एक चौकाने वाला मामाल सामने आया है। जिसमें ई—मित्र कियोस्कर के खाते का दुरुपयोग उसके चचेरे भाई ने किया। इसके बाद ई—मित्र संचालक, उसकी मां और दोस्तों के खाते फ्रिज कर दिया गया है।  साइबर थानाधिकारी गिरधारीलाल ने बताया कि शहर से सटे बिलडी गांव के अनिल कलाल ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि शहर के प्रतापनगर कॉलोनी में रहने वाले प्रदीप पुत्र राजेंद्र कलाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर साइबर ठगी का काम किया है। इसके लिए उसने बिलडी निवासी भावेश पुत्र गणपत कलाल और झौथरी निवासी कुलदीप पुत्र हेमेंद्र कलाल के साथ मिलकर ठगी को अंजाम दिया। बिलडी निवासी अनिल कलाल एक ई—मित्र कियोस्कर का संचालन करता है।  5 जनवरी को अनिल के चचेरे भाई भावेश कलाल ने बैंक खाते में पैसा मंगवाने के लिए उससे क्यूआर कोड मांगा। चचेरे भाई भावेश कलाल ने बताया कि उसका और उसकी पत्नी का बैंक खाता बंद है। जिस पर अनिल ने अपने भाई पर भरोसा करते हुए क्यूआर कोड वाटसअप पर भेज दिया। दो दिन बाद अनिल के खाते में 11 लाख रुपए जमा हुए। इस पैसे को लेने के लिए झौथरी निवासी कुलदीप कलाल आया। अनिल के पास एक मात्र चेक होने के कारण बैक में जाकर 4 लाख 15 हजार नगद निकाल कर दे दिए। कुलदीप ने पूरे पैसे देने का दबाव बनाया। जिस पर अनिल ने उसकी मां और दोस्त के खाते से 8 लाख 15 हजार कैश लाकर दिए। साथ ही बची हुई राशि अगले दो दिन में बैंक से निकालकर देने की बात कही। अगले दिन बैंक से जानकारी मिली की उसके बैंक खाते में 11 लाख रुपए साइबर ठगी से आए थे। इसके कारण उसका बैंक खाता फ्रीज हो चुका है। कुछ देर बाद उसकी मां और दोस्त का बैंक खाता भी फ्रीज हो गया। अनिल ने अपने चचेरे भाई से भावेश से साइबर ठगी के बारे में पूछताछा करने पर अनजान बना रहा। इसके बाद उसने कुलदीप कलाल से रकम के बारे में पूछा तो उसने प्रतापनगर निवासी प्रदीप कलाल की मां बबीता को दी। इस राशि के लिए प्रदीप कलाल से पूछताछ करने पर उसने धमकाते हुए इस मामले को भूलने की बात कही। जिस पर अनिल ने परेशान होकर साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई

By Udaipurviews

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