ईको सेन्सिटिव जोन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर हुई चर्चा लिये कई निर्णय
उदयपुर, 5 जनवरी। सज्जनगढ वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेन्सिटिव जोन की मॉनिटरिंग की बैठक कमेटी अध्यक्ष व जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल की अध्यक्षता में आयोजित की गयी, जिसमें सज्जनगढ वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेन्सिटिव जोन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गयी एवं निर्णय लिये गये। जिला कलक्टर ने सदस्य सचिव उप वन संरक्षक, वन्यजीव को क सज्जनगढ वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेंसिटिव जोन की अधिसूचित सीमा के भीतर भूमि संपरिवर्तन एवं निर्माण संबंधित प्रकरण की जांच कर मॉनिटरिंग कमेटी के समक्ष निर्णय हेतु रखने के निर्देश दिए। जांच रिपोर्ट में राजस्व विभाग, युडीए, नगर निगम व वन विभाग आदि संबंधित विभाग द्वारा प्रकरण का सम्पूर्ण विवरण सम्मिलत होना आवश्यक हैं।
कलक्टर ने स्पष्ट किया कि सज्जनगढ़ अभयारण्य की सीमा के एक किलोमीटर या ईको सेन्सिटिव जोन की सीमा में से न्यूनतम परिधि में किसी तरह के नये होटल-रिसोर्ट हेतु भूमि संपरितर्वन की स्वीकृति जारी नही की जाएगी। अभयारण्य की सीमा के 1 किलोमीटर की परिधि के बाहर एवं ईको सेन्सिटिव जोन की सीमा के भीतर यदि कोई नयी होटल रिसोर्ट हेतु भूमि संपरिवर्तन के आवेदन प्राप्त होते है, तो ऐसे प्रकरणों का संबंधित विभागों से पूर्ण जांच कर, प्रकरणों को मॉनिटरिंग कमेटी के समक्ष रखा जावेगा। मॉनिटरिंग कमेटी नियमानुसार निर्णय लेगी।
अभयारण्य की सीमा के 1 किलोमीटर की परिधि में यदि कोई होटल या रिसोर्ट संचालित है, जिसको अधिसूचना जारी होने से पूर्व सभी स्वीकृति जारी की गयी है। ऐसे होटल के विस्तार हेतु या नये निर्माण की स्वीकृति जारी नही की जावेगी। सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेन्सिटिव जोन की सीमा के भीतर स्थानीय निवासियों के स्वयं के आवास हेतु एकल आवास के अन्तर्गत आवासीय स्वीकृति जारी करने के लिये यहां के मूल निवासी आवेदन कर सकेंगे जिसे मॉनिटरिंग कमेटी के समक्ष रखा जाएगा।
बैठक में निर्देश दिए कि सज्जनगढ वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेन्सिटिव जोन की सीमा के भीतर एवं फतहसागर झील के आस पास के क्षेत्रां में मोबाईल डी.जे., म्युजिक सिस्टम, बारात एवं धार्मिक कार्यक्रमों में चार पहिया वाहनों पर बैण्ड आदि नही बजाये जाएंगे। इसकी रोकथाम हेतु पुलिस महकमा एवं जिला परिवहन विभाग अपनी कार्यवाही अमल में लाएंगे। और इस सीमा में पटाखों पर भी प्रतिबंध रहेगा। उदयपुर विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम उदयपुर के द्वारा सज्जनगढ वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेन्सिटिव जोन एवं फतहसागर झील के आस पास के क्षेत्रां में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाकर विभिन्न गतिविधियों पर निगरानी रखी जाएगी एवं ध्वनि प्रदुषण के रोकथाम हेतु बैनर एवं डिस्पले बोर्ड लगाए जाएंगे। साथ ही होटल व रिसोर्ट में ध्वनि मापक यंत्र लगाये जाने अनिवार्य होगें। बैठक के अन्त में सदस्य सचिव एवं उप वन संरक्षक ने आभार जताया।
10 जनवरी तक विद्यालयों में 8वी तक के विद्यार्थियों का समय परिवर्तित
उदयपुर, 5 जनवरी। जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल ने एक आदेश जारी कर उदयपुर जिले में सर्दी का प्रकोप बढ़ने व शीत लहर की संभावना को देखते जिले के समस्त राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों में कक्षा 8 वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 10 जनवरी तक विद्यालय का समय परिवर्तित किया है। कलक्टर के आदेशानुसार 6 जनवरी से 10 जनवरी तक विद्यालय का समय प्रातः 11 बजे से सायं 4 बजे तक रहेगी वहीं कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं कार्मिकों के लिए विद्यालय समय शिविरा पंचाग अनुसार रहेगा। इन निर्देशों की अवहेलना करने वाले राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
बाल संरक्षण अधिनियम विषयक प्रशिक्षण सम्पन्न
उदयपुर, 5 जनवरी। पुलिस विभाग व यूनिसेफ राजस्थान के सहयोग से संचालित कम्युनिटी पुलिसिंग टू बिल्ड अवेयरनेस एण्ड ट्रस्ट कार्यक्रम के तहत बाल संरक्षण अधिनियमों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन रिजर्व पुलिस लाईन सभागार में किया गया। कार्यषाला में पुलिस उपाधीक्षक श्रीमती चेतना भाटी ने पुलिस अधिकारियों को बालकां से संबंधित मामलों में संवेदनषीलता से सभी प्रक्रियाओं तथा नियमों की थाना स्तर पर पालना के लिए निर्देष देते बालकों से संबंधित समस्याओं को साझा करने के लिए प्रेरित किया। कार्यषाला में मुख्य प्रषिक्षक के जिला एवं सत्र न्यायाधीष कॉमर्षियल कोर्ट महेन्द्र कुमार दवे ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षणअधिनियम 2012 के बारे में विस्तृत जानकारी दी और बालकों के साथ होने वाले लैंगिक दुर्व्यवहार के मामलों में रिपोर्टिंग प्रक्रिया पीड़ित प्रतिकर के प्रावधानों तथा अनुसंधान के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखें। यूनिसेफ की बाल संरक्षण सलाहकार श्रीमती सिन्धु बिनुजीत ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पर आयोजित कार्यशाला की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।