आचार्य नानेश की 105वीं जन्म जयंती पर सामूहिक सामायिक की आराधना

आचार्य नानेश विश्व के कोहिनूर थे : आचार्य विजयराज
उदयपुर, 8 जून। समता विभूति आचार्य नानेश की 105वीं जन्म जयंती पर शनिवार को आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. की निश्रा में सेक्टर-11 स्थित महावीर भवन में गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया एवं तीन-तीन सामूहिक सामायिक की आराधना की गई।
धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने कहा कि मेवाड़ की धरती आन-बान व शान पर कुर्बान होने वालों की धरती है। यह वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप, शान्त-क्रान्ति के प्रणेता गणेशाचार्य, समता विभूति आचार्य नानेश एवं आचार्य देवेन्द्र मुनि की धरा है। मेवाड़ के छोटे से गांव दांता में जन्मे नानालाल सम्पूर्ण विश्व के कोहिनूर बन गए। इस कोहिनूर की परख की गणेशाचार्य ने। उड़ते पंछी नील गगन में गाते एक तराना, जियो हमारे नाना से आचार्य श्री ने अपने उद्बोधन का आगाज किया। इस अवसर पर श्री विनोद मुनि जी म.सा. ने तमिल भाषा में, श्री विशालप्रिय जी म.सा. ने आंग्ल एवं मारवाड़ी भाषा में व नीरजप्रिय जी म.सा. ने हिन्दी में गुरू गुणगान किया। नमनप्रिय जी म.सा. ने नमो गुरूदेवाय नमो नानेशाय गीतिका एवं अक्षयप्रभ मुनि जी म.सा. ने अगर गुरू दर्श मिल जाए तो सारा जीवन संभल जाए गीत प्रस्तुत कर आचार्य नानेश का गुणानुवाद किया। महासती श्री सिद्धिश्री जी म.सा. ने गुरू कौन, गुरू की आवश्यकता क्यों एवं गुरू के प्रति कर्तव्य विषयक गुणानुवाद किया। विनोद मुनि जी म.सा. ने नवकार मंत्र के हर पद का 108 बार सामूहिक जाप कराया। मीडिया प्रभारी डॉ. हंसा हिंगड़ ने बताया कि इस अवसर पर गौतम प्रसादी का आयोजन भी किया गया। प्रभावना कंचन देवी दौलत सिंह खमेसरा द्वारा वितरित की गई। कार्यक्रम का संचालन कन्हैयालाल नलवाया ने किया।
By Udaipurviews

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