उदयपुर, 1 जून। महावीर भवन में तपस्वीराज श्रद्धेय श्री विश्वास मुनि जी म.सा. के 31 की तपस्या के पूर के अवसर पर शनिवार को आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने उनके तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि विश्वास मुनि जी म.सा. में तपस्या करने का जुनून है; यह जुनून यह विश्वास सदैव बना रहे। चन्द्रमा की कलाओं की तरह दान-शील-तप-भावना उत्तरोत्तर बढ़ती रहे। इस अवसर पर उपाध्याय प्रवर ने फरमाया कि वर्ष 2008 में मुम्बई में दीक्षित हुए श्री विश्वास मुनि जी म.सा. बड़े तपस्वीरत्न हैं। संकल्प को पूर्ण करने की ताकत गुरू के अनुग्रह में रहती है। विश्वास मुनि पर गुरू का अनुग्रह सदैव बना हुआ है। इस अवसर पर श्रद्धेय श्री युगप्रभ जी, महासती श्री मयंकमणि जी म.सा., महासती श्री कुमुदश्री जी म.सा. आदि ने तप की अनुमोदना की। आचार्य श्री जी के पधारने पर चंदनबाला महिला मंडल ने स्वागत है गुरूवर का स्वीकार इसे कर लो स्वागत गीत का गान किया। प्रवचन के तुरन्त बाद उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने नवकार मंत्र, लोगस्स एवं णमोत्थुणं का सामूहिक जाप कराया।
मीडिया प्रभारी डॉ. हंसा हिंगड़ ने बताया कि तपस्वीरत्न विश्वास मुनि जी म.सा. ने अब तक 50, 40 की तपस्या एक-एक बार एवं चार मासखमण पूर्ण किए हैं। कीर्तिशेष मीठालाल जी शान्ति देवी हरकावत परिवार ने नवकारसी, गौतम प्रसादी का लाभ लेने के साथ ही दोपहर में चौबीसियों का आयोजन में प्रभावना भी वितरित की। उदयपुर श्रीसंघ के अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता, स्वाध्यायी जज सा. प्रकाशचंद्र जी पगारिया आदि अनेक गणमान्यों की उपस्थिति रही। इस अवसर पर शहर के उपनगरों के अनेक श्रद्धालु तपस्या की अनुमोदनार्थ उपस्थित हुए। सभा का संचालन आनंदीलाल बम्बोरिया ने किया।