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शुचिता, कर्मठता व संघर्षशील जीवन का पर्याय रहे भानुकुमार शस्त्री

शुचिता, कर्मठता व संघर्षशील जीवन का पर्याय रहे भानुकुमार शस्त्री

भानुकुमार शास्त्री की पुण्यतिथि (24 फरवरी ) पर विशेष: सदैव उन्नत व प्रखर रहा राजनीति नभ का ‘भानु’  भारतीय जनसंघ की स्थापना से लेकर जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी की यात्रा के एक कर्मठ योद्वा, संस्थापक सदस्य भानुकुमार शास्त्री का महाप्रयाण प्रदेश जनसंघ व भाजपा में कद्दावर राजनेता रहे। संघ के साधारण स्वयंसेवक से लेकर मुख्य शिक्षक, कार्यवाह, नगर कार्यवाह बाद में पार्षद, नगर परिषद् उपसभापति, विधायक, सांसद, निगम बोर्ड के अध्यक्ष व काबीना मंत्री का दर्जा उनकी लम्बी राजनैतिक यात्रा के पड़ाव रहे। लगातार संघर्ष व तत्कालीन प्रभुत्व सम्पन्न दल कांग्रेस के मुकाबले अपने दल की न्यून…
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गोगुन्दा मे जगाई शिव अलख : रोज ईष्टदेव के दर्शन का लिया संकल्प

गोगुन्दा मे जगाई शिव अलख : रोज ईष्टदेव के दर्शन का लिया संकल्प

उदयपर 11 फरवरी  | ब्रह्माकुमारीज उदयपुर सेवा केंद्र की बहनो ने गोगुन्दा गांव मे त्रिमूर्ति शिव महोत्सव का शुभारम्भ किया | अपने उद्बोधन मे बी के रीता बहन ने  कहा कि जब बच्चे  पिता का हाथ पकड़कर चलते हैं तो वे निश्चिंत रहते है। इसी तरह हम भी यदि खुद को परमात्मा को सौंपकर जीवन में चलते हैं तो सदा निश्चिंत रहते हैं। परमपिता शिव इस धरा पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्यात्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। परमात्मा आह्नान कर रहे हैं कि मेरे बच्चों तुम अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदतें शिव पर…
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माघ पूर्णिमा पर बेणेश्वर मेला 12 को

माघ पूर्णिमा पर बेणेश्वर मेला 12 को

पांच शताब्दियों से लोक संस्कृति के संगम का साक्षी है सोम-महीसागर संगम तीर्थ बेणेश्वर धाम अकबर के समकालिक माने जाने वाले रावल आसकरण के समय से शुरू हुई थी मेले की परंपरा उदयपुर, 11 फरवरी। वागड़ प्रयाग, वागड़ वृंदावन बेण वृंदावन धाम जैसे उपनामों से विख्यात सोम-महीसागर संगम् तीर्थ बेणेश्वर धाम टापू पांच शताब्दियों से लोक संस्कृतियों के संगम का साक्षी बना हुआ है। बेणेश्वर मेले को लेकर कई तरह की किवदंतियां प्रचलित है। किसी का मानना है कि बेणेधर टापू पर मेले की शुरुआत मावजी महाराज के समय से हुई तो कोई मेले का इतिहास केवल 100 साल का…
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राजस्थान का पुनर्जागरण: विरासत संरक्षण और सतत पर्यटन के लिए एक सुंदर योजना

राजस्थान का पुनर्जागरण: विरासत संरक्षण और सतत पर्यटन के लिए एक सुंदर योजना

राइजिंग राजस्थान: भारत की अमर धरोहर के लिए एक नई सुबह ; क्रांतिकारी सुझाव परिचय: कालजयी महिमा की दृष्टि राजस्थान—ऊँचे किलों, महलों, शांत झीलों और अद्भुत वास्तुशिल्प का प्रदेश—भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीता-जागता प्रमाण है। लेकिन इस भव्यता के पीछे एक मौन संकट छिपा है। प्राचीन बावड़ियां, घाट, औधियां, हवेलियां, मंदिर और छतरियां जैसे अनगिनत ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे जर्जर हो रही हैं। यहां तक कि राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाने वाली झीलें और जलाशय भी उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। इस क्षरण को रोकने के लिए राजस्थान सरकार को एक साहसिक और परिवर्तनकारी पहल का नेतृत्व करना…
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कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण ढंग से संपादित हुई मतगणना

कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण ढंग से संपादित हुई मतगणना

सलूम्बर विधानसभा उपचुनाव- 2024 भाजपा की शांतादेवी रही विजयी चुनाव प्रेक्षक व जिला निर्वाचन अधिकारी पूरे समय तैनात रहे मतगणना कक्ष में उदयपुर, 23 नवम्बर। विधानसभा उपचुनाव- 2024 के तहत सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र की मतगणना शनिवार को पीएमश्री राजकीय फतह उच्च माध्यमिक विद्यालय, सूरजपोल में चुनाव प्रेक्षक जे विजया रानी और जिला निर्वाचन अधिकारी अरविन्द पोसवाल के निर्देशन में शांतिपूर्ण ढंग से संपादित हुई। संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया के निष्पक्ष, पारदर्शिता और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने पूरी टीम को बधाई देते हुए पीठ थपथपाई। भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश अनुरूप शनिवार सुबह ठीक 8…
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डूंगरपुर जिले के चौरासी विधानसभा क्षेत्र उप चुनाव के परिणाम घोषित

डूंगरपुर जिले के चौरासी विधानसभा क्षेत्र उप चुनाव के परिणाम घोषित

रिटर्निंग अधिकारी कपिल कोठारी ने सौंपा विजेता प्रमाण पत्र डूंगरपुर, 23 नवम्बर। विधानसभा उप चुनाव-2024 के तहत डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट के लिए मतगणना शनिवार को श्री भोगीलाल पण्ड्या राजकीय महाविद्यालय, डूंगरपुर में संपन्न हुई। अंतिम परिणाम के अनुसार चौरासी विधानसभा क्षेत्र-161 से भारत आदिवासी पार्टी के अनिल कुमार कटारा विजयी हुए। उन्हें अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के कारीलाल ननोमा से 24,370 अधिक मत प्राप्त हुए। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार श्री भोगीलाल पण्ड्या राजकीय महाविद्यालय में सुबह 8 बजे से मतगणना प्रारंभ हुई। सबसे पहले ईटीपीबीएस और पोस्टल बैलेट की गणना की गई। इसके बाद…
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प्रतापगढ़ : झोलाछापों के खिलाफ धरपकड़ अभियान : कोई दुकान छोड़ भागा, कोई रोगी को छोड़कर

प्रतापगढ़ : झोलाछापों के खिलाफ धरपकड़ अभियान : कोई दुकान छोड़ भागा, कोई रोगी को छोड़कर

बिना वैद्य लाइसेंस और डिग्री के प्रैक्टीस करते मिले कथित झोलाछाप  प्रतापगढ़। बिना डिग्री और वैद्य लाइसेंस के कथित चिकित्सक बनकर इलाज करने वाले झोलाछाप के विरूद्ध चिकित्सा विभाग ने सख्त रूख अपना लिया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ जीवराज मीणा की अगुवाई में शनिवार को जिलेभर में झोलाछाप के विरूद्ध छापामार कार्यवाही चली। इस दौरान कोई दुकान छोड़कर भागा तो कोई रोगी को ही छोड़कर झोलाछाप फरार हो गए। इस छापेमार कार्यवाही के दौरान भारी मात्रा में अंग्रेजी दवाईयां, इंजेक्षन, ग्लूकोज की खाली और इस्तेमाल हुई बोतलें मिली। जबकि कई झोलाछाप छूट भागे। हालांकि चिकित्सा विभाग की…
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उदयपुर की प्रसिद्ध झीलें: एक पुकार जागरूकता की

उदयपुर की प्रसिद्ध झीलें: एक पुकार जागरूकता की

उदयपुर, जिसे "झीलों की नगरी" के नाम से जाना जाता है, सदियों से अपने सुंदर जल निकायों के कारण एक पर्यटन केंद्र रहा है। इन झीलों का न केवल ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि उदयपुर की आत्मा और अस्तित्व इन्हीं से जुड़ा हुआ है। झीलों का निर्माण महाराणा उदय सिंह द्वारा किया गया था, जिन्होंने पिछोला झील के किनारे इस शहर की स्थापना की। कालांतर में फतेहसागर, स्वरूप सागर, रंग सागर, बड़ी और उदयसागर जैसी झीलों का निर्माण हुआ, जो शहर के जल प्रबंधन और सौंदर्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती रहीं। विभिन्न महाराणाओं ने अपने समय में इन…
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डॉ राजपुरोहित प्रभारी नियुक्त

डॉ राजपुरोहित प्रभारी नियुक्त

उदयपुर। 08 अक्टूबर। राजस्थान प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा उप-चुनाव 2024 हेतु राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री गोविंद सिंह डोटासरा जी के निर्देशानुसार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया एण्ड डिजिटल प्लेटफार्म्स विभाग द्वारा प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर डॉ संजीव राजपुरोहित को अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा का प्रभारी नियुक्त किया है। डॉ राजपुरोहित उप-चुनाव में अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा में सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के माध्यम से पार्टी के लिए काम करेंगे।
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संस्कृत के वैज्ञानिक स्रोतों को जाना संसार ने : शिक्षक श्रीकृष्ण के अनुपम प्रयास

संस्कृत के वैज्ञानिक स्रोतों को जाना संसार ने : शिक्षक श्रीकृष्ण के अनुपम प्रयास

21 वीं सदी में लोकोपयोगी रूप में संस्कृत को पहचान) * डॉ. विभासिंह ( नई दिल्ली ) उदयपुर, 1 अक्टूबर।  देवभाषा संस्कृत को अक्सर साहित्य, नाटकों और प्राचीन ग्रंथों के दायरे में सीमित कर दिया गया है, लेकिन इसका महत्व इन सीमाओं से परे है। यह प्राचीन भाषा गहन वैज्ञानिक सिद्धांतों और ज्ञान का प्रतीक है। सबसे पुरानी लिखित भाषाओं में से एक के रूप में, संस्कृत अपार मूल्य के भंडार के रूप में खड़ी है। अपने साहित्यिक खजाने से परे, इसमें वैज्ञानिक ज्ञान का खजाना छिपा है जो प्राचीन संस्कृतियों और उनकी उन्नति के बारे में हमारी समझ को…
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