वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य
विशेष लेख उदयपुर, 15 जून। प्राणी मात्र के हृदय में सोए भाव जब जागृत होते हैं तो वे वाणी या चेष्टाओं द्वारा अभिव्यक्ति पाते हैं। जिस माध्यम से वे अभिव्यक्त होते हैं उसे कला की संज्ञा दी गई है। गाना बजाना नाचना प्रफुल्लित मन की स्वाभाविक क्रियाएं हैं, ये पशु पक्षी, कीट पतंगें,देव दानव ,मनुष्य सभी में पाई जाती है। इस स्वाभाविक कलाओं को जब कोई व्यवस्था दी जाती है तो उसे कला का नाम दिया जाता है। मन में उठी सुख और दुख की अनुभूतियां जब गीत बनकर गूंजने लगती है तो उन्हीं को राग का नाम दे दिया…