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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य

विशेष लेख उदयपुर, 15 जून। प्राणी मात्र के हृदय में सोए भाव जब जागृत होते हैं तो वे वाणी या चेष्टाओं द्वारा अभिव्यक्ति पाते हैं।  जिस माध्यम से वे अभिव्यक्त होते हैं उसे कला की संज्ञा दी गई है। गाना बजाना नाचना प्रफुल्लित मन की स्वाभाविक क्रियाएं हैं, ये पशु पक्षी, कीट पतंगें,देव दानव ,मनुष्य सभी में पाई जाती है। इस स्वाभाविक कलाओं को जब कोई व्यवस्था दी जाती है तो उसे कला का नाम दिया जाता है। मन में उठी सुख और दुख की अनुभूतियां जब गीत बनकर गूंजने लगती है तो उन्हीं को राग का नाम दे दिया…
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“वन है तो कल है”

“वन है तो कल है”

1 मार्च वन दिवस के उपलक्ष्य में "विशेष लेख " जमीन का अपना धर्म है -वह शील संयम और स्नेह के द्वारा माता की तरह हमारा पोषण करती है। इंसान इसी मिट्टी की उपज है ,इसी से पोषण पाता है और इसी मिट्टी में मिल जाता है। मिट्टी की साख को बचाने के लिए उपाय करना बहुत ज्यादा जरूरी है। मिट्टी  को थामने के लिए पेड़ों की आवश्यकता होती है ,पेड़ होगे तो बाढ़ या तूफान से उपजाऊ मिट्टी बहकर या उड़कर इधर-उधर नही जा सकेगी। फिर जब अमृत वर्षा होगी तो धरती की कोख सोना उगलेंगी। वनों की जगह…
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चुन चुन करती आई चिड़िया

चुन चुन करती आई चिड़िया

20,मार्च गौरैया दिवस पर विशेष आलेख... कुदरत ने सुंदर संसार को रचा जिसमे फूलों की सुगंध है,फलों में मिठास है,आसमान में परवाज़ भरने वाले पंछी है,पानी में क्रीड़ा करने वाले जलचर है,उछलती उमगती किलकती चंचल नदियां है,तुषार धवल पर्वत है,नाना श्रृंगार किए वन और झूमती फसलों पर मंडराती तितलिया है, झीमिर झीमीर बरखा है,बसंत है,बहार है, और प्यारी प्यारी गौरैया है। चीं,चीं की आवाज़ करती,मुंह में तिनके दबाये आवा जाही करती खूबसूरत,मासूम, प्यारी सी गौरैया हम सबने देखी है।बचपन से इसे देखते हुए ही हम बड़े हुए हैं। पिछले कुछ समय से इंसानों द्वारा पर्यावरण से छेड़ छाड़ की गई…
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भगवान ऋषभदेव का मंदिर है खास, जहां जल घड़ी आधारित होती है सेवा पूजा

भगवान ऋषभदेव का मंदिर है खास, जहां जल घड़ी आधारित होती है सेवा पूजा

तीर्थंकर ऋषभदेव जयंती महोत्सव शुरू : उदयपुर जिले के भगवान ऋषभदेव को लेकर हिन्दू, जैन ही नहीं, बल्कि आदिवासियों में है बड़ी आस्था -रंजीता शर्मा उदयपुर। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की जयंती महोत्सव इस वर्ष 16 मार्च से शुरू हो गया। केसरियाजी स्थित भगवान ऋषभदेव का मंदिर देश के खास मंदिरों में शुमार है, जहां बड़ी संख्या में हिन्दू, जैन तथा आदिवासी लोग अपने—अपने आराध्य देव के रूप में उनकी पूजा करते हैं। जैन धर्माम्बलंबियों के लिए यह प्रथम तीर्थंकर हैं तो हिन्दू धर्माम्बलंबियों के भगवान विष्णु के आठवें अवतार। जबकि क्षेत्रीय आदिवासियों के लिए उनके आराध्य…
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मां की कोख से क्या बोली बेटी …?

मां की कोख से क्या बोली बेटी …?

-प्रियादुबे मां के गर्भ में पल रहा एक कन्या भ्रूण बोला- मां मेरे जन्म के बाद तेरे आंचल में बड़ी मैं बड़ी होऊंगी,बात-बात में मचलूंगी,रूठ जाऊंगी, स्कूल जाऊंगी, सयानी भी होऊंगी और ससुराल भी जाऊंगी...., लेकिन ससुराल वालों को मेरी कीमत से मत नवाजना चाहे पीपल पूजनी पड़े या मीरा स्वरूप में जिदंगी बीतानी पड़ जाए शादी जीवन चलाने के लिए पुरखों द्वारा बनायीं गयी। एक ऐसी सभ्यता है, जो दुनिया भर में है भारत में शादी के समय दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे के परिवार को दिए जाने वाले रूपये, आभूषण, महंगी वस्तुएँ और अचल संपति आदि उपहार में…
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उदयपुर के मेनार में बारूद की होली, तीन घंटे बनी रही गूंज

उदयपुर के मेनार में बारूद की होली, तीन घंटे बनी रही गूंज

तोप से दागे गोले तथा बंदूकों से रात ढाई बजे तक होती रही फायरिंग उदयपुर। देश में होली के विविध रंग देखने को मिलते हैं, लेकिन उदयपुर जिले की मेनार की होली बेहद खास है। जहां बारूद की होली खेली गई। सिर पर पगड़ी पहने ग्रामीणों ने तोप से गोले छोड़कर इसकी शुरूआत की और करीब तीन घंटे तक समूचा मेनार बंदूकों से की गई फायरिंग से गूंजायमान रहा। माहौल था जमरा बीज पर मेनार गांव में मनाई जा रही बारूद की होली का। जहां बुधवार रात 11 बजे से ढाई बजे तक बारूद की होली खेली गई। इस दौरान…
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मुगल सेना पर जीत की खुशी में आज भी मेनार में गरजती है तोपें, बन्दूकों से होती है सलामी

मुगल सेना पर जीत की खुशी में आज भी मेनार में गरजती है तोपें, बन्दूकों से होती है सलामी

उदयपुर, 07 मार्च। देश में होली का त्यौहार रंगों से मनाया जाता है, लेकिन हर क्षेत्र में होली मनाने की कुछ अलग परंपराएं हैं, उसके पीछे अलग अलौकिक कहानी होती है। ऐसी ही एक अनोखी होली मनाई जाती है राजस्थान के उदयपुर जिले के मेनार में। होली के दूसरे दिन द्वितीया पर जमरा बीज महोत्सव मनाया जाता है। इस महोत्सव के लिए दूर शहरों में जा बसे गांववासी भी लौटते हैं और इसका हिस्सा बनते हैं। दरअसल, यह महोत्सव इतिहास में मुगलों पर जीत का जश्न है। उदयपुर जिले से 45 किलोमीटर दूर चितौड़गढ़ मार्ग पर दो सरोवरो के बीच…
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वागड़ में होली पर गजब की परंपरा

वागड़ में होली पर गजब की परंपरा

होली पर होती है दो लड़कों की आपस में शादी की परंपरा कहते है दीपावली की रौनक देखनी हो तो आप शहरों में जाओ और होली की रौनक देखनी हो तो गांवों में। सच में देश—प्रदेश के गांव—देहातों में होली की कई ऐसी परंपराएं आयोजित होती है जिनको देखना हर किसी के लिए रोमांचक होता है। बांसवाड़ा जिले के बड़ोदिया कस्बे में होली पर एक ऐसी ही शादी की परंपरा का आयोजन होता है जिसमें दुल्हा भी लड़का होता है और दुल्हन भी लड़का ही। यह आश्चर्यजनक परंतु सत्य है। यह शादी वास्तविक शादी न होकर मात्र एक परंपरा का…
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मेवाड़ में महाराणा नहीं, महादेव को मानते थे शासक

मेवाड़ में महाराणा नहीं, महादेव को मानते थे शासक

महाशिवरात्रि विशेष -सुभाष शर्मा उदयपुर। महा​ शिवऱात्रि पर्व को लेकर देश भर में तैयारियां जारी हैं और उदयपुर में भी। उदयपुर का नाम आते ही मेवाड़ और महाराणा शब्द स्मरण में आ जाते हैं लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि मेवाड़ के शासक महाराणा नहीं, बल्कि भगवान महादेव को माना जाता रहा है। मेवाड़ के महाराणा खुद को भगवान का दीवान मानते थे। आज भी उदयपुर—नाथद्वारा मार्ग पर कैलाशपुरी स्थित भगवान एकलिंगनाथ का प्राचीन मंदिर है और यहां विराजित भगवान एकलिंगजी को ही मेवाड़ का शासक माना जाता है। उदयपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी में भगवान एकलिंगजी…
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राजस्थान के उदयपुर जिले के मध्यवर्गीय परिवारों में प्रीमियम यात्री कार सेगमेंट खरीदने के निर्णय और धारणा पर एक महत्वपूर्ण अध्ययन

राजस्थान के उदयपुर जिले के मध्यवर्गीय परिवारों में प्रीमियम यात्री कार सेगमेंट खरीदने के निर्णय और धारणा पर एक महत्वपूर्ण अध्ययन

आज भी भारतीय मध्यम वर्गीय उपभोक्ता जब भी किसी कार को खरीदने का निर्णय करता है तो उसके मस्तिष्क में सर्वप्रथम यही प्रश्न उठता है कि वह कम लागत में अधिक सुविधायुक्त अपने बजट के अनुसार किसी कार या वाहन को खरीदें। जब से सम्पूर्ण विश्व मे महामारी कोविड- 19 ने दस्तक दी,तब से हर भारतीय परिवार ने बजट के अनुसार अपनी सुविधानुसार कार खरीदने का निर्णय किया। आज भी भारतीय उपभोक्ता जब भी कार खरीदने का निर्णय करता है तो उसके मस्तिष्क में सर्वप्रथम कार की कीमत,ब्राण्ड, सुविधा,नई तकनीक, अधिक माइलेज क्षमता व परिवार की आवश्यकताओं को ध्यान में…
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