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उदयपुर संसदीय क्षेत्र में 22 लाख 30 हजार 971 मतदाता चुनेंगे अपना सांसद

उदयपुर संसदीय क्षेत्र में 22 लाख 30 हजार 971 मतदाता चुनेंगे अपना सांसद

1133207 पुरुष एवं 1097745 महिलाएं करेंगी मतदान उदयपुर, 24 अप्रैल। लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव लोकसभा आम चुनाव 2024 मैं मतदान के लिए पत्र मतदाताओं की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। उदयपुर जिले में कुल 22 लाख 5955 मतदाता पंजीकृत हैं। इनमें से मावली और वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता चित्तौड़ संसदीय क्षेत्र के लिए मतदान करेंगे, वहीं उदयपुर  संसदीय क्षेत्र के लिए डूंगरपुर जिले के आसपुर और प्रतापगढ़ जिले के धारियावाद विधानसभा क्षेत्र सहित कल 22 लाख 30 हजार 971 मतदाता देश की सबसे बड़ी पंचायत के लिए अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। जिला निर्वाचन अधिकारी अरविंद पोसवाल ने बताया कि…
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भंवर म्हाने पूजन दो दिन चार…

भंवर म्हाने पूजन दो दिन चार…

राजस्थान का नाम सुनते ही हृदय आनंदित हो उठता है। जहां एक और राजस्थान की वीरगाथाओं से इतिहास भरा पड़ा है, वहीं दूसरी ओर यहां के तीज-त्यौहार अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं। तभी कहते हैं-ः ’रंग रंगीलो, रस भरियो, म्हारो प्यारो राजस्थान’। गणगौर पर्व राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। राजस्थान के लगभग हर हिस्से में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। गणगौर के साथ कई लोक कथाएं जुड़ी हुई है जो इस त्यौहार को राजस्थान के जनमानस के दिलों में गहराई से बसाती है। ’गण’ भगवान शिव का पर्याय है और ’गौरी’…
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पूर्व विधायक जोशी और पूर्व उपसभापति शेखावत ने चलती ट्रेन में तोड़ दिया था हौज पाइप

पूर्व विधायक जोशी और पूर्व उपसभापति शेखावत ने चलती ट्रेन में तोड़ दिया था हौज पाइप

उदयपुर। ‘सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’, ‘रावण मारो काटो फेंको, मंदिर वईंज बणेगा..’, ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’, ‘बच्चा बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम का’ ऐसे ही नारे थे जिन्होंने पूरे देश को झकझोरा था और 1990 के अक्टूबर में देश के कोने कोने से रामभक्त कारसेवा के लिए निकल पड़े थे। यह भी आभास था कि आगे उनके साथ क्या क्या हो सकता है, क्या क्या कष्ट झेलने पड़ सकते हैं, लेकिन अपने आराध्य श्रीराम के मंदिर बनाने के सपने को आंखों में संजोकर एक ही नारा गुंजा कर चल पड़े थे, ‘कारसेवा…
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प्रधानमंत्री की विकसित भारत संकल्प यात्रा संस्कृति-संस्कार संरक्षण का अभियान

प्रधानमंत्री की विकसित भारत संकल्प यात्रा संस्कृति-संस्कार संरक्षण का अभियान

राष्ट्र निर्माण में हर नागरिक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आज का नवजात शिशु कल देश का भविष्य बनेगा। उसकी शिक्षा-दीक्षा और संस्कार पर ही देश की सफलता और उन्नति निर्भर करेंगी। जिस किसी व्यक्ति या कार्य को जरुरी ना समझकर छोड़ दिया जाता है। हो सकता है वहीं आगे चलकर युग परिवर्तनकारी हो जाता है। इसे ध्यान में रखने के लिए एक पारखी नजर जरुरी है। इसीलिए तो हमारे ऋषि -मुनियों ने समाज में संस्कारों और परम्पराओं पर जोर दिया था। पर बदलते युग में पाश्चात्य संस्कृति भारी पड़ी। आज भारतवासी संस्कार भूलने लगे हैं। जिसे याद दिलाने का…
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खोजी जा रही है अब खोजी पत्रकारिता?

खोजी जा रही है अब खोजी पत्रकारिता?

अक्सर खोजी पत्रकारिता के बारे में बडे बडे वरिष्ट पत्रकारों द्वारा खोजी पत्रकारिता के बारे में जानकारी दी जाती है । परंतु पत्रकारिता के धरातल पर ये खोजी पत्रकारिता  अब कही नज़र नही आतीआखिर क्यों? आज के आधुनिक डिजिटल युग मे चैनल्स को टी आर पी व रेटिंग चाहिए। घटना घटित होते इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तुरंत खबरे प्रसारित कर देते हैं। न्यूज़ चैनल्स ,यूट्यूब  चैनल्स की जैसे बाड़ आ गई हो रोज़ नित्य नए चैनल्स? जनता की भी आदत  तुरंत समाचार सुनने व देखने की हो गई है,क्या जनता को भी अब इंतज़ार की आदत नही रही ? ईसके विपरीत खोजी…
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गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक

गुरु नानक देवजी के 554वें प्रकाश पर्व पर विशेष : आग लगी आकाश में झर-झर गिरे अंगार, संत न होते जगत में तो जल मरता संसार। प्राचीन काल से भारत की धरती ऋषि-मुनियों एवं संतों की पावन धरा रही है व संस्कृति एवं सभ्यता को आगे बढ़ाने में विभिन्न कालखंडों में अलग अलग महान संत, महात्माओं एवं ऋषियों का हमेशा मार्गदर्शन रहा है। भारत वर्ष अपनी अध्यात्मिक श्रेष्ठता के कारण ही विश्वमंच पर धर्म गुरू की उपाधि से अपनी अलग पहचान रखता है। गुरु नानक देव जी भारत की महानतम आध्यात्मिक विभूतियों में से एक थे। गुरु नानक देव जी…
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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य

विशेष लेख उदयपुर, 15 जून। प्राणी मात्र के हृदय में सोए भाव जब जागृत होते हैं तो वे वाणी या चेष्टाओं द्वारा अभिव्यक्ति पाते हैं।  जिस माध्यम से वे अभिव्यक्त होते हैं उसे कला की संज्ञा दी गई है। गाना बजाना नाचना प्रफुल्लित मन की स्वाभाविक क्रियाएं हैं, ये पशु पक्षी, कीट पतंगें,देव दानव ,मनुष्य सभी में पाई जाती है। इस स्वाभाविक कलाओं को जब कोई व्यवस्था दी जाती है तो उसे कला का नाम दिया जाता है। मन में उठी सुख और दुख की अनुभूतियां जब गीत बनकर गूंजने लगती है तो उन्हीं को राग का नाम दे दिया…
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“वन है तो कल है”

“वन है तो कल है”

1 मार्च वन दिवस के उपलक्ष्य में "विशेष लेख " जमीन का अपना धर्म है -वह शील संयम और स्नेह के द्वारा माता की तरह हमारा पोषण करती है। इंसान इसी मिट्टी की उपज है ,इसी से पोषण पाता है और इसी मिट्टी में मिल जाता है। मिट्टी की साख को बचाने के लिए उपाय करना बहुत ज्यादा जरूरी है। मिट्टी  को थामने के लिए पेड़ों की आवश्यकता होती है ,पेड़ होगे तो बाढ़ या तूफान से उपजाऊ मिट्टी बहकर या उड़कर इधर-उधर नही जा सकेगी। फिर जब अमृत वर्षा होगी तो धरती की कोख सोना उगलेंगी। वनों की जगह…
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चुन चुन करती आई चिड़िया

चुन चुन करती आई चिड़िया

20,मार्च गौरैया दिवस पर विशेष आलेख... कुदरत ने सुंदर संसार को रचा जिसमे फूलों की सुगंध है,फलों में मिठास है,आसमान में परवाज़ भरने वाले पंछी है,पानी में क्रीड़ा करने वाले जलचर है,उछलती उमगती किलकती चंचल नदियां है,तुषार धवल पर्वत है,नाना श्रृंगार किए वन और झूमती फसलों पर मंडराती तितलिया है, झीमिर झीमीर बरखा है,बसंत है,बहार है, और प्यारी प्यारी गौरैया है। चीं,चीं की आवाज़ करती,मुंह में तिनके दबाये आवा जाही करती खूबसूरत,मासूम, प्यारी सी गौरैया हम सबने देखी है।बचपन से इसे देखते हुए ही हम बड़े हुए हैं। पिछले कुछ समय से इंसानों द्वारा पर्यावरण से छेड़ छाड़ की गई…
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भगवान ऋषभदेव का मंदिर है खास, जहां जल घड़ी आधारित होती है सेवा पूजा

भगवान ऋषभदेव का मंदिर है खास, जहां जल घड़ी आधारित होती है सेवा पूजा

तीर्थंकर ऋषभदेव जयंती महोत्सव शुरू : उदयपुर जिले के भगवान ऋषभदेव को लेकर हिन्दू, जैन ही नहीं, बल्कि आदिवासियों में है बड़ी आस्था -रंजीता शर्मा उदयपुर। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की जयंती महोत्सव इस वर्ष 16 मार्च से शुरू हो गया। केसरियाजी स्थित भगवान ऋषभदेव का मंदिर देश के खास मंदिरों में शुमार है, जहां बड़ी संख्या में हिन्दू, जैन तथा आदिवासी लोग अपने—अपने आराध्य देव के रूप में उनकी पूजा करते हैं। जैन धर्माम्बलंबियों के लिए यह प्रथम तीर्थंकर हैं तो हिन्दू धर्माम्बलंबियों के भगवान विष्णु के आठवें अवतार। जबकि क्षेत्रीय आदिवासियों के लिए उनके आराध्य…
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