जिनेश्वर भगवंत का नाम लेने से आत्मा को सम्यग् दर्शन की प्राप्ति होती है : साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री

– पुष्य नक्षत्र में पुष्पदंत महापूजन एवं आयंबिल तप किया
– तीन दिवसीय आयमबील का तेला शुरू
– 21 जुलाई को पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना

उदयपुर 18 जुलाई। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में मंगलवार को विशेष प्रवचन हुए । महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में दोनों साध्वियों के सान्निध्य में परमात्मा की महापूजा का विधान रखा गया। चूंकि आज पुष्य नक्षत्र होने के कारण परमात्मा श्री सुविधिनाथ भगवान की प्रभु भक्ति का आयोजन रखा गया। उन्होनें बताया कि मंगलवार से आयड़ तीर्थ पर तीन दिवसीय आयंबिल तप रखे गये हैं। श्री पुष्पदंत महापूजन पुष्य नक्षत्र होने से आयंबिल तप एवं महापूजन कर लाभ जसवंतमल, राजकुमारी, असीम सिंघवी परिवार ने लिया है। 21 जुलाई को पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना किया जाएगा।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने चातुर्मासिक प्रवचन में कहां कि ह्रदय में आदर-बहुमान पूर्वक जिनेश्वर भगवंत का नाम लेने से आत्मा को सम्यग् दर्शन गुण की प्राप्ति होती है। यदि पहले ही सम्यक दर्शन प्राप्त कर लिया हो तो प्रभु के नाम स्मरण से पूजन-अर्चना से वह सम्यक दर्शन अधिक निर्मल बनता है। परमात्मा सुविधिनाथ प्रभु के गर्म में आने के बाद प्रभु के माता-पिता विधिपूर्वक धर्म की आराधना करने लगे, अत: प्रभु का सुविधि” नाम रखा गया अथवा मचकुंद के पुष्प के समान प्रभु की दंत पंक्ति होने से प्रभु का नाम पुष्पदंत” रखा गया ।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

By Udaipurviews

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