-मेलार्थियों की डिमांड बनती जा रही रेजिन-हार्डवुड की मूर्तियां
-नैचुरल सामग्री से मूर्तियां बनाते हैं हाथरस के भगवान स्वरूप
-शिल्पग्राम में सुर-ताल थमे, लेकिन मेलार्थियों का उत्साह यथावत
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की आेर से हवाला-शिल्पग्राम में चल रहे शिल्पग्राम उत्सव में हालांकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के शोक में सुर-ताल ताे थमे हैं, लेकिन मेलार्थियों का उत्साह यथावत है। सर्दी-कोहरा भी इसमें कमी नहीं ला सके हैं। शिल्पबाजार में 26 राज्यों के हस्तशिल्पी महिला-पुरुषों के 400 से अधिक स्टाल उत्सवार्थियों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कई उत्पाद यहां पहली बार आए हैं, जो लोगों को खूब लुभा रही हैं। ऐसे उत्पादों में खासतौर से यूपी के हाथरस की रेजिन-हार्डवुड की मूर्तियांें का जिक्र जरूरी है।
सधे हाथों की साक्षी मूर्तियां-गोवा हट से सटी हुई स्टाल पर हाथरस के सिद्धहस्त दस्तकार भगवान स्वरूप बताते हैं कि वे जो मूर्तियां बनाते हैं उनमें लकड़ी, पत्थर और रेजिन का उपयोग होता है। एक आठ इंच की मूर्ति बनाने में ढाई से तीन घंटे लगते हैं। दरअसल, पहले लकड़ी, पत्थर के साथ रेजिन मिक्स कर उसे सांचे में रखते हैं, ताकि जो आकृति देना चाहते हैं, उसमें ढल जाए। हर मूर्ति की आकृति अलग होती है, जिनमें देवी-देवता, वन्य जीव आदि की हो सकती है। जाहिर है, हर आकृति के लिए अलग सांचा बनाना पड़ता है। बहरहाल, मूर्ति सांचे से निकालने के बाद उसकी फिनिशिंग और कलर करते हैं। बाद में कास्टिक से सही धुलाई करके उसे अंतिम रूप से तैयार कर दिया जाता है। भगवान स्वरूप बताते हैं कि इसमें बनती कोशिश सारी सामग्री नैचुरल काम में लेते हैं। यहां तक िक रेजिन, जो गाेंद जैसा हाइड्रोकार्बन द्रव्य होता है, भी वृक्षों की छाल और लकड़ी से निकलता है। वहीं कलर्स भी प्राकृतिक सामग्री से ही बना होता है।
गुजरात की ‘फुल्ट’ टू इन वन, बेड शीट कम रजाई-गुजरात के सुरेंद्र नगर जिले के मूली तालुका में पलासा गांव में बनने वाली रजाइयां, बेड शीट्स, कुशन कवर, टेबल रनर, साेफा थ्रो आदि हाथ से बने सूती कपड़े और ऑरिजनल रुई से बनते हैं। वस्त्र संसार में सजी स्टाल पर निर्मल परमार बताते हैं कि उनकी रजाई सहित सभी उत्पादों में हैंडलूम के कपड़े और रुई का प्रयोग होता है। सिंथेटिक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता। जहां माइनस में तापमान हो वहां हमारी रजाइयां और फुल्ट बेड शीट भरपूर गरमाहट देती है। इनमें भी कॉटन लीलन की रजाइयां और भी अधिक गरम होती हैं। हमारे उत्पाद की खास बात यह है कि सभी को वाशिंग मशीन में धो सकते हैं। धोने से इनकी गरमाहट में कमी नहीं आती और ये कम से कम 5 साल तक चलते हैं।
78 हजार मेलार्थी आए-पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि हालांकि शिल्पग्राम उत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां बंद हैं, फिर भी शिल्पबाजार और प्रदर्शनियों के प्रति मेलार्थियों का उत्साह यथावत है। शुक्रवार तक उत्सव में लगभग 78 हजार लोग आ चुके हैं। इनमें से शुक्रवार के दिन 13 हजार मेलार्थी आए। मेलार्थियों के उत्साह के चलते शिल्पबाजार के शिल्पकारों का भी उत्साह बरकरार है।