राग-द्वेष के नाश से आत्मा को मिलता है मोक्ष: निरागरत्नविजय

उदयपुर, 20 जुलाई। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में चौगान मंदिर स्थित आराधना भवन में शनिवार को धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए पन्यास प्रवर निरागरत्नविजय जी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास में पाप प्रवृत्तियों को समाप्त करो, जिससे आपकी आत्मा का पुण्य का बैलेंस बढ़े एवं आत्मा की आध्यात्मिक प्रगति होवें। धर्म के समाचार, कार्यों को भेजें, जिससे की आपके एवं आपसे संबंधित हर एक व्यक्ति के जीवन में धर्म का आगमन हो सके। परमात्मा का शासन जन-जन तक पहुंचे ऐसे कार्य हमारे द्वारा होवें। आसक्ति एवं आलस को बैन करें जिससे चातुर्मास में ज्यादा से ज्यादा अप्रमत्त भाव से आराधना हो सके। चातुर्मास अर्थात आराधना करने का मौसम, इस पूरे मौसम का फायदा हर जीव को उठाना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा त्यागमय एवं आराधनामय जीवन सभी को बनाना चाहिए, जिससे कि राग-द्वेष का नाश हो एवं आत्मा शीघ्र ही सिद्ध गति मोक्ष को प्राप्त करे। चातुर्मास प्रवक्ता राजेश जवेरिया ने बताया कि पंन्यास प्रवर की निश्रा में आज से पंच परमेष्ठी तप प्रारम्भ हुआ, जिसे लेकर तपस्वियों में उत्साह का माहौल है।

By Udaipurviews

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