भीलवाड़ा। विधायक अशोक कोठारी द्वारा कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को पत्र लिखकर जैविक प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए मांग की। कोठारी ने कहा कि राजस्थान प्रदेश में ही प्रतिवर्ष कृषकों द्वारा 24 लाख मैट्रिक टन यूरिया 9 लाख मैट्रिक टन डीएपी एवं 4 से 5 लाख मैट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे न केवल कृषकों की गाढ़ी कमाई व्यर्थ जा रही है बल्कि साथ ही जमीन की उर्वरक क्षमता भी कम हो रही है और उक्त रासायनिक उर्वरक व जहरीले कीटनाशकों से पैदा हुए उत्पादों के उपभोग से प्रदेश वासी भी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं और इनका उपयोग करते हुए कृषकों कीभी कई बार अकाल मृत्यु हो जाती है। मीडिया प्रभारी पंकज आडवाणी ने बताया कि, जैविक प्राकृतिक कृषि ही मूल कृषि है जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हुए संतुलन बनती है, इसे पैदा हुए उत्पाद भी व्यक्ति को स्वस्थ और निरोगी रखते हैं सरकार द्वारा संकल्प पत्र 23 में भी पृष्ठ संख्या 20 पर प्रत्येक जिले में एक शत प्रतिशत जैविक प्राकृतिक कृषि ब्लॉक की स्थापना एवं गौमूत्र, गोबर खरीदने की व्यवस्था व साथ ही प्रत्येक ग्राम पंचायत में वर्मी कंपोस्ट इकाई स्थापित करने की बात कही गई थी।
देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी जैविक कृषि को बढ़ावा देने हेतु निम्नांकित मुख्य बात कही गई है।
1.जैविक खेती हमारा मुख्य आधार रहा है।
2.जैविक खेती करने से उत्पादन लागत कम आती है और किसानों को आयज्यादा मिलती है और साथ ही पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ता है।
3.वर्तमान में आम लोगों का जैविक खेती पर भरोसा बढ़ रहा है और लोग जैविक खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे है।
प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना के तहत सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान को प्रति एकड़ 3 वर्षों के लिए 50000 वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।ज्ञात रहे कि सिक्किम पूर्ण रूप से जैविक कृषि अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बन चुका है और त्रिपुरा उत्तराखंड राज्य भी इसी लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में काम कर रहे हैं। विधायक कोठारी ने पत्र में कहा कि राजस्थान में जैविक कृषि हेतु कार्य किए जा रहे है परंतु इसमें काफी सुधार की आवश्यकता है, राजस्थान में जैविक कृषि की अपार संभावना है, राजस्थान मोटे अनाज में देश का ऑर्गेनिक फूड बास्केट बन सकता है, प्रदेश में सर्वाधिक पशुधन होने के कारण गोबर, गोमूत्र भी बहुतायत में उपलब्ध है जो की जैविक कृषि का मूल आधार है सरकार द्वारा पशुपालक से गोबर और गोमूत्र क्रय कर न केवल जैविक कृषि वरन् किसानों को भी आर्थिक संबल मिलेगा। रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक इस्तेमाल को कम करने हेतु ही केन्द्र सरकार द्वारा एक महत्वाकांक्षी योजना पीएम-प्रणाम योजना शुरू की गई है जिसके अंतर्गत रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक के अत्यधिक इस्तेमाल को कम करके वैकल्पिक उर्वरकों से खेती को बढ़ावा देने की बात कही गई है। उक्त योजना के उद्देश्यों में भी आप द्वारा यह कहा गया है कि जो राज्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करेंगे उन्हें अतिरिक्त सहायता दी जायेगी।