एक और दीक्षा खुलने से श्रीसंघ में हर्ष की लहर
– विजय गुरू की जय-जयकार से गूंजा पांडाल
उदयपुर, 8 नवम्बर। केशवनगर स्थित अरिहंत वाटिका में आत्मोदय वर्षावास में आकोला हाल मैसूर निवासी मुमुक्षु विरल हिंगड़ के परिजनों ने चतुर्विध संघ की उपस्थिति में आज्ञा पत्र आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. को विधिवत सुपुर्द किया, जिस पर आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने मुमुक्षु विरल हिंगड़ की दीक्षा भी आगामी 7 फरवरी 2025 को जयपुर श्रीसंघ को प्रदान की। दीक्षा की घोषणा होते ही पूरा पांडाल जयघोषों से गूंजायमान हो गया। ज्ञातव्य है कि 14 वर्षीय मुमुक्षु विरल हिंगड़ की दो भुआ महासती श्री सौम्यश्री जी म.सा. एवं महासती श्री संयमप्रभा जी म.सा. आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. के संघ में दीक्षित हैं। इस अवसर पर मुमुक्षु ने कहा कि संसार में माता-पिता तीन तरह के होते हैं-सुख चाहने वाले, हित चाहने वाले एवं कल्याण चाहने वाले। अपनी संतान का सुख चाहने वाले माता-पिता संतान को धन-सम्पत्ति, गाड़ी बंगला आदि देते हैं। हित चाहने वाले माता-पिता बच्चों को संस्कार देकर धर्म के मार्ग में आगे बढ़ाते हैं तथा कल्याण चाहने वाले माता-पिता अपनी संतान के साथ स्वयं भी संयम मार्ग पर आगे बढ़ते हैं। विरल ने सती मदालसा के उदाहरण से अपनी बात को पुष्ट किया। धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने कहा कि हम सब सम्यक्तव के प्रति श्रद्धा रखें। सम्यक्त्व के प्रति श्रद्धा बढ़ाने में सहायक है परमार्थ का गुणकीर्तन करना, परमार्थ से परिचय करना, परमार्थ की प्रशंसा करना एवं उसे स्वीकार करना। ये सब सम्यक्त्व की आचार संहिता के प्रथम लक्षण हैं। संसारी जन परमार्थ को जानकर, समझ कर भी अनजाने बन जाते हैं। संसारी यदि अपना जीवन सफल बनाना चाहते हैं तो अपनी आत्मा में साधना के प्रति आकर्षण पैदा करें। हम सभी समय की कद्र करें। समय को समझना समझदारी है एवं समय पर समझना जिम्मेदारी है।
उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि चतुर्थ आरे में पंचेन्द्रियों के विषय शब्द, रूप, रस, गंध आदि सीमित मात्रा में उपलब्ध थे, जबकि पंचम आरे में दुःख के, काम-भोग के असीमित साधन सहजता से उपलब्ध हैं और ये सब अनर्थों की खान है। चतुर्थ आरे के लोग ऋजुमना थे और पंचम आरे के लोग वक्रबुद्धि एवं जड़बुद्धि वाले हैं। इन्हें जल्दी से कुछ समझ में नहीं आता है। अरे पुण्याई की बदौलत यह अनमोल मनुष्य जन्म मिला है, यह जीवन सोने की तिजोरी जैसा है, इसमें सद्कार्यों की पुण्याई भरो, ताकि जीवन उन्नत बने। मीडिया प्रभारी डॉ. हंसा हिंगड़ ने बताया कि आज प्रवचन सभा में छीपा का आकोला का श्रीसंघ उपस्थित हुआ।