आगामी बजट के लिये मार्बल उद्योग को लेकर एसोसिएशन ने दिये उपयोगी सुझाव मार्बल उद्योग के लिये हो आर्थिक पैकेज की घोषणा

उदयपुर। उदयपुर मार्बल एसोसिएशन की कार्यकारिणी बैठक आयोजित की गई। जिसमें  राजस्थान सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किये जाने वाले राज्य के आगामी बजट को लेकर सरकार को कुछ उपयोगी सुझाव दिये है।
एसोसिएशन अध्यक्ष पंकज गंगावत ने बताया कि 2017 से पूर्व विदेशी इंपोर्टेड माल बहुत ही प्रतिबंध मात्रा में सिर्फ राजस्थान में ही आयात किया जाता और यहां से ही प्रोसेस कर अन्य राज्यों में भेजा जाता था। अब ओजीएल पालिसी लागू होने के पश्चात पूरे भारत में सभी जगह लगभग 30 गुना अधिक मात्रा में आयात किया जाने लगा है। इससे हमारे घरेलू मार्बल/ग्रेनाइट उत्पादन पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हॉल ही में केंद्र सरकार के बजट में इंपोर्टेड माल (मार्बल व ग्रेनाइट) पर एक्साइज ड्यूटी भी 40 प्रतिशत से 20 प्रतिशत कर दी हैं। इससे हमारे घरेलु माल को और अधिक प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल पालिसी भी यहाँ उल्टी पड़ती दिखाई दे रही हैं। राजस्थान के उद्यमियों को बहुत प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजरना पड़ रहा हैं। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आग्रह किया कि विदेशी इंपोर्टेंट माल के संबंध में ऐसी पॉलिसी बनाई जानी चाहिए जिससे कि विदेशी माल नियंत्रित मात्रा में आयात किया जाए तथा साथ ही इसमें राजस्थान में आयात का अलग कोटा बनाया जाना चाहिए जिससे अधिकतम माल राजस्थान को ही मिले। इससे घरेलू उत्पादन के साथ ही मार्बल उद्योग को बढ़ाया जा सकेगा ।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय बजट में जीएसटी की दर कम करने हेतु वित्त मंत्री से आग्रह किया था। वर्तमान में इम्पोर्टेड मटेरियल को किसी भी जीएसटी स्लैब में रखें लेकिन इंडियन मार्बल व ग्रेनाइट पर जीएसटी की दर को कम किया जाएं। जीएसटी काउंसिल में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर जीएसटी को कम करने का प्रस्ताव रखा जाए।
एक ही कमोडिटी के माल जैसे कोटा स्टोन, सेंड स्टोन, पर 5 प्रतिशत तथा मार्बल/ग्रेनाइट पर 18 प्रतिशत जीएसटी को तर्क संगत कर दो अलग अलग टैक्स स्लैब में नहीं रख कर इनको एक ही टैक्स स्लैब में रखा जाए। गवर्नमेंट प्रोजेक्ट, प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, रेलवे स्टेशन जैसे जगह पर भी मार्बल लगने लगा है परंतु जीएसटी टैक्स में सेंड स्टोन और मार्बल ग्रेनाइट के टैक्स स्लैब में अंतर होने के कारण से मार्बल कारोबारियों को प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है।
गंगावत ने बताया कि उदयपुर मार्बल एवं ग्रेनाइट का कैपिटल जोन हैं। यहाँ आसपास के करीब 40 किलोमीटर क्षेत्र में बहुतायत में माइनिंग की जाती हैं, परन्तु उदयपुर के सुखेर औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार नहीं हो पाया हैं। सबसे ज्यादा खनन उत्पादन, माइनिंग विभाग व अन्य प्रमुख विभाग यहाँ होने के बावजूद भी हमारी मार्बल मंडी का सर्वांगीण विकास नहीं हो रहा हैं। इसका मुख्य कारण यहाँ अलग से मार्बल जोन नहीं बन पाना हैं। एसोसिएशन ने सुझाव दिया कि आगामी बजट में उदयपुर मार्बल मंडी के विशेष मार्बल जोन और मार्बल औद्योगिक क्षेत्र यहाँ घोषित किया जाएं।
मार्बल उद्योग में बहुत सी इंडस्ट्री अब पुरानी हो चुकी है। उद्योग में नई टेक्नोलॉजी, नई मशीनरी आने लग गई। एसोसिएशन चाहता है कि कुछ नई औद्योगिक प्रस्ताव दिया जाएं, जिसमे उद्योगों में नई तकनीक व मशीनरी का नवीनीकरण करने के लिए स्पेशल पैकेज और छूट मिले। इसमें लोन में भी ब्याज में छूट देकर व्यापारी को राहत दी जाएं।
मार्बल उद्योग पिछले काफी वर्षों से विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा हैं। आगामी बजट में मार्बल उद्योग के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए जिससे राज्य के मार्बल व्यवसायियों को एक बूस्टर मिल सकें।
उदयपुर में औद्योगिक क्षेत्र की पिछले काफी वर्षाे से मांग कर रहे हैं। सुखेर औद्योगिक क्षेत्र के पास ही भीलों का बेदला औद्योगिक क्षेत्र जो की अभी प्रक्रिया में हैं। इस सम्बन्ध में राज्य के उद्योग मंत्री को भी कई बार मिल कर इसको पूरा करने का निवेदन किया। राजस्थान सरकार द्वारा निवेश को बढ़ाने हेतु राइजिंग राजस्थान का आयोजन किया जिसमे भी सुखेर क्षेत्र के मार्बल व्यापारियों ने लगभग 750 करोड़ का एमओयू भी दे चुके हैं, की जगह उपलब्ध हो तो हम व्यापार को आगे बड़ा सके परन्तु इसका भी कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं हुआ हैं।

By Udaipurviews

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