उदयपुर 9 जून । लोकजन सेवा संस्थान एवं भारतीय सांस्कृतिक निधि के संयुक्त तत्वावधान में प्रताप जंयती के उपलक्ष्य मे विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा. मनीष श्रीमाली ने बताया कि प्रताप के सांस्कृतिक अवदान को रेखांकित करने हेतु गोष्ठी का अयोजन किया गया था। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था का परिचय पूर्व अध्यक्ष डा. जयराज आचार्य ने करवाया तथा कवि श्रेणीदान चारण एवं लक्ष्मण सिंह कर्णावट का उनके काव्य क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मान किया गया। स्वागत उद्बोधन देते हुए लोकजन सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रो विमल शर्मा ने कहा कि प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप आज जन जन के मानस पटल पर राष्ट्रभक्ति के पर्याय के रुप मे स्थापित है । इस तरह की वैचारिक संगोष्ठी के नियमित आयोजनों से महाराणा प्रताप के जीवन के अनछुए पहलुओं से समाज का परिचय कराने का सुअवसर मिलता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति उमाशंकर शर्मा ने प्रताप के योगदान का स्मरण कर उनके सांस्कृतिक अवदान पर प्रकाश डाला। भारतीय सांस्कृतिक निधि के संयोजक प्रो. ललित पांडे ने कहा कि यूरोप की आल्पस पर्वत श्रृंखला के समान ही अरावली उपत्यका की कोई भी ऐसी चोटी और दर्रा नहीं है जो प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की यशेागाथा की कहानी नहीं संजोए है। अतः अरावली का संरक्षण इतिहास के महान व्यक्तित्व की स्मृति के साथ ही पर्यावरण संतुलन के लिए भी आवश्यक है जिसके विनाश के प्रभाव को नित भोग रहे हैं। माणिक्यलाल वर्मा महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. मलय पानेरी ने साहित्य में साहित्यकारों द्वारा प्रताप के जीवन के विविध पक्षों जो वर्णन किया उस पर प्रकाश डाला। इतिहासकार डाॅ. राजेन्द्र नाथ पुरोहित ने प्रताप और शिवाजी के जीवन के कुछ अनउद्घाटित तथ्यों को साझा किया तथा उन पर भावी शोध की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम के दौरान कलाकार सी पी चित्तौड़ा द्वारा 84 फिट लंबी प्रताप के जीवन को बताते पत्रक का प्रदर्शन किया जिसमें उनके जीवन का दर्शाया गया है तथा माचिस की तील्ली से चेतक एवं प्रताप के चित्रों का निर्माण किया। संत लक्ष्मण पुरी गोस्वामी ने भी काव्य प्रस्तुति के माध्यम से प्रताप के संघर्षमय जीवन का चित्रण कर सभी मे देश के लिये कुछ कर गुजरने का जोश भर दिया। कार्यक्रम के संचालन गौरव सिंघवी ने किया तथा धन्यवाद लोकजन सेवा संस्थान के महासचिव जयकिशन चौबे ने दिया। कार्यक्रम में गणेश लाल नागदा, इन्द्रसिंह राणावत, ग्रुप कैप्टन गजेन्द्र सिंह, अंबालाल सनाढय, डा. रमाकांत शर्मा, अविनाश खटीक, जगदीश शर्मा, हाजी सरदार मोहम्मद, ज्ञान प्रकाश सोनी, बसंती वैष्णव , वीणा राजगुरु, नारायण दास वैष्णव, तारा पालीवाल, राजमल चौधरी, आदि सम्मिलित हुए।
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