अणुव्रत के 77 वें स्थापना दिवस पर आज निकलेगी रैली
उदयपुर। अणुव्रत विश्व भारती समिति के तत्वावधान में 77वां अणुव्रत स्थापना दिवस 1 मार्च 2025 को शासन श्री मुनिश्री सुबोध कुमार श्रवण-तीन के सानिध्य में अणुुव्रत समिति उदयपुर द्वारा हिरण मगरी सेक्टर 4 स्थित तुलसी निकेतन के प्रांगण में मनाया जाएगा। इस अवसर पर स्कूली छात्रों की रैली भी निकाली जायेगी। समारोह के मुख्य अतिथि उदयपुर जिला कलेक्टर एवं शहर विधायक ताराचंद जैन होंगे।
समारोह के संबंध में जानकारी देते हुए मुनिश्री सुबोध मुनि मेधांश ने बताया कि व्यक्ति अपने जीवन में छोटे-छोटे व्रत और नियमों का पालन करके भी स्वस्थ और सार्थक जीवन जीया जा सकता है। इस अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत आचार्य तुलसी ने 77 वर्ष पहले की थी। अणुव्रत आंदोलन झुग्गी झोपड़ियां से लेकर राष्ट्रपति भवन तक प्रवृत हुआ है। उन्होंने बताया कि आचार्य तुलसी तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के पास भी गए थे और उन्हें अणुव्रत आंदोलन के बारे में जानकारी दी और इसके महत्व के बारे में बताया। पंडित नेहरू भी आचार्य तुलसी के इस आंदोलन से काफी प्रभावित हुए और उन्होने आचार्य तुलसी को आश्वस्त किया था कि निश्चित ही यह आंदोलन देश भर में चलना चाहिए और वह उनकी तरफ से इस आंदोलन को भरपूर सहयोग देंगे। आचार्य तुलसी ने नेहरू से कहा था की निज पर शासन फिर अनुशासन यही अणुव्रत का सिद्धांत है। अगर व्यक्ति छोटे-छोटे नियम और व्रतो के द्वारा खुद सुधर जाएगा तो समाज और देश अपने आप ही सुधर जाएगा।
मुनि श्री ने कहा कि अणुबम के निर्माण में जहां विघ्वंस की तैयारी हो रही हो, वहां अणुव्रत की आवश्यकता स्वयं सिद्ध हो जाती है। देश की आजादी के साथ मानव को हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई जिसे संप्रदायों से परे ले जाकर सही मायने में मानव बनने के लिए आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का शुभारंभ किया। झुग्गी झोपड़ी से राष्ट्रपति तक इस संप्रदाय निरपेक्ष धर्म का विवाद हुआ तो पंडित जवाहरलाल नेहरू इस आंदोलन के प्रथम समर्थक बने।
उन्होंने बताया कि 1 मार्च को आचार्य श्री तुलसी द्वारा भगवान महावीर के व्रतों को नए युग को अणुव्रत के रूप में प्रतिष्ठित किया। अणुव्रत के छोटे-छोटे 11 नियम है यह नियम हर वर्ग के लिए जाति धर्म लिंग भेद से परे इंसान को सही मायने में इंसान बनाते हैं।
आज पूरी दुनिया बारूद के ढेर पर खड़ी है एक क्लिक पर सृष्टि खाक हो सकती है, विज्ञान ने मानव की आकांक्षाओं के आसमान को इतना ऊंचा कर दिया है कि अब उसे स्वयं के सिवाय कुछ नहीं दिखाई देता। अपने फायदे के लिए वह किसी को भी नुकसान पहुंचने पर आमादा है। इस स्वार्थवृति का समाधान और समस्या हिंसा, बर्बरता, आर्थिक संकट, गरीबों की हो या आतंकवाद, संप्रदायवाद अशिक्षा और नैतिकता या बलात्कार और पर्यावरण की सभी समस्याओं का स्थाई समाधान है अणुव्रत।
यह बात अणुव्रत के 77 वें स्थापना दिवस के पूर्व दिवस पर बोलते हुए युग प्रधान आचार्य महाश्रमण के आगे अनुवर्ती शासन श्री मुनि सुरेश कुमार के सहवर्ती मुनि संबोध कुमार मेघांश ने कही। वे तुलसी निकेतन रेजिडेंशियल विद्यालय प्रांगण में बोल रहे थे उन्होंने कहा बदलाव की शुरुआत स्वयं से हो तो सारा संसार बदल जाएग निज पर शासन पर फिर अनुशासन ही अणुव्रत का उद्बोध है और संयममय जीवन हो गीत इस आंदोलन का प्राण जो देश के एक लाख से ज्यादा विद्यालयों में गाया जा रहा है।
इस अवसर पर अणुव्रत समिति अध्यक्षा श्रीमती प्रणिता तलेसरा ने स्वागत करते हुए अणुव्रत समिति द्वारा आयोजित उपक्रमों के बारे में अवगत कराया। अणुव्रत समिती सदस्य कुन्दन भटेवरा, मधु सुराणा, गगन तलेसरा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल नाहटा, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष भूपेश खमेसरा, महिला मंडल अध्यक्षा सीमा बाबेल, टीपीएफ अध्यक्ष राजेंद्र चंडालिया, अणुव्रत समिति उपाध्यक्ष राजेंद्र सेन, संरक्षक गणेश डागलिया, तुलसी निकेतन कार्यकारी अध्यक्ष अरुण कोठारी, प्रणिता तलेसरा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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