उदयपुर। विश्व विरासत दिवस पर “माछला मगरा, झीलें एवं पहाड़” संरक्षण हेतु व्याख्यान माला का आयोजन व दिलाया संकल्प
उदयपुर, 18 अप्रैल! विश्व विरासत दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति एवं आलोक संस्थान के सयुक्त तत्वाधान में आलोक संस्थान, हिरणमगरी सेक्टर–11 में “माछला मगरा, झीलें एवं पहाड़: हमारी प्राकृतिक धरोहर बचाने की गुहार” विषय व्याख्यान माला एवं संकल्प दिवस का सफल आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता आलोक संस्थान के निदेशक डॉ प्रदीप कुमावत थे!
आलोक संस्थान के निदेशक एवंअखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव डॉ प्रदीप कुमावत ने छात्र‑छात्राओं को संबोधित करते हुए रेखांकित किया कि हमारी प्राकृतिक विरासत—पहाड़, झीलें और वन—हमारी समृद्धि का आधार हैं। यदि हम इन धरोहरों के संरक्षण में सफल नहीं हुए तो भविष्य में न केवल पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा, बल्कि शहर का सामाजिक‑ आर्थिक स्वरूप भी संकट में आ जाएगा। उदयपुर का वास्तविक सौन्दर्य औद्योगिक विकास में नहीं, बल्कि इसकी अनूठी पर्यटन एवं सांस्कृतिक विरासत में निहित है।
डॉ कुमावत ने विशेषकर माछला मगरा क्षेत्र में बढ़ती अवैध अतिक्रमण गतिविधियों, सिकुड़ती झीलों एवं पहाड़ों के अवैध दोहन पर चिंता व्यक्त की। उनका कहना था, “हम केवल सरकार से अपेक्षा कर पाने की स्थिति में नहीं रह सकते; हमें स्वयं—समुदाय, शैक्षणिक संस्थान एवं नागरिकों के संयुक्त प्रयास से—इन प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करनी होगी।”
संकल्प –इस अवसर पर डॉ कुमावत ने माछला मंगरा क्षेत्र में अवैध निर्माण पर रोक लगाना, झीलों का दुष्प्रभाव नियंत्रण एवं पुनरुद्धार, पहाड़ी तलछट एवं वनस्पति संरक्षित करना, विद्यालयी एवं सामुदायिक स्तर पर जागरूकता एवं सहभागिता बढ़ाना संकल्प दिलवाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सहायक प्रशासक प्रतीक कुमावत ने स्वागत भाषण देकर किया, जबकि अंत में प्राचार्य शशांक टांक ने आभार व्यक्त किया।