उदयपुर, 13 सितम्बर। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पंन्यास प्रवर निरागरत्न विजय जी म.सा. ने शुक्रवार को धर्मसभा में कहा कि शरीर व मन के समस्त रोग लोभ से पैदा होते हैं। लोभ की मात्रा घटती नहीं, मगर दिनों दिन घटने की बजाय निरंतर बढ़ती चली जाती है। इंसान की इच्छाएं अनंत होती हैं जो कदापि पूर्ण नहीं हो पाती। प्रभु महावीर ने इस लोभ को जीतने के लिए संतोष का मार्ग बतलाया। वस्तुओं की मर्यादाओं से ही मन पर काबू पाया जा सकता है। बिना पुरूषार्थ किए कोई भी काम कभी भी सफल नहीं होता। पुरूषार्थ से ही सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है। हमारा जीवन पुरूषार्थ की धुरी पर चल रहा है। मानव पुरूषार्थ करे तो अपनी सम्पूर्ण क्षमताओं को उजागर कर सकता है। चातुर्मास प्रवक्ता राजेश जवेरिया ने बताया कि पंन्यास प्रवर के दर्शनार्थ बाहर से आने वाले श्रावक-श्राविकाओं का क्रम निरन्तर बना हुआ है। सभी के आवास-निवास की समुचित व्यवस्था की गई है।
शरीर व मन के समस्त रोग लोभ से पैदा होते हैं : निरागरत्न
