उदयपुर में चल रही है राष्ट्रीय ज्योतिष शोध संगोष्ठी
उदयपुर : महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउंडेशन उदयपुर के सहयोग से अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ज्योतिष शोध संगोष्ठी इन दिनों उदयपुर में जारी है। जिसमें नेपाल तथा देश के कई ज्योतिषविद भाग ले रहे हैं। जिसमें शनिवार को राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद सरकार गठन तथा नेताओं की पृष्ठभूमि को लेकर चर्चा हुई। जिसमें बताया गया कि आखिर साधारण पृष्ठभूमि के नेताओं को किस तरह सत्ता में महत्वपूर्ण जगह मिली।
चुनौतियों भरा रहेगा साल
ज्योतिषियों ने बताया कि शनि का अपनी राशि कुंभ में होने के चलते कई साधारण स्तर के नेताओं को भी सत्ता में महत्वपूर्ण जगह मिली है। राजस्थान के बारे में ज्योतिषी मनोज गुप्ता ने बताया कि अगले साल अप्रेल से दिसम्बर 2025 तक समय राजस्थान की नवनिर्वाचित सरकार के लिए चुनौतियों भरा रहेगा। संगोष्ठी में देश के विभिन्न हिस्सों से आए ज्योतिषियों में से महेंद्र कुमार दाधीच, गोविन्द सिंह निरबाण, हरदीप सिडाना, रूपिन्दर पुरी, दविन्दर सोनी, नवेश वर्मा, रमेश चंद्र शर्मा, वरिन्दर कौर, मधूसूदन शर्मा, पंडित मुकेश शास्त्री, पं. जनार्दन ओझा, अभिषेक शर्मा, अजिंक्या अविनशा नलोले, माणक चंद्र व्यास, योगेश दत्त ओझा, महावीर स्वामी, जितेंद्र दाधीच, पंकज भार्गव ने अपने शोध पढ़े।
पितृ दोष के कारणों और निवारण की जानकारी
संगोष्ठी में ज्योतिषियों ने पितृ दोष के कारणों और निवारणों की जानकारी दी। ज्योतिषियों ने कहा, पितृ दोष का समाधान हर कोई करना चाहता है। इसकी पहचान के लिए कुंडली दिखवाता है किन्तु कई बार पितृ दोष कर्मों के आधार पर भी कुण्डली में बैठ सकता है। इसलिए कुण्डली दिखाते वक्त कर्मों का उल्लेख भी होना चाहिए। नेपाल से आए महेंद्र नाथ मूंधड़ा ने बताया कि पितृ पक्ष के समय सबसे ज्यादा की जाने वाली गलती सुबह जल्दी तर्पण करने की है। जबकि सही समय दोपहर डेढ़ से चार बजे का समय तर्पण के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इससे पहले किया गया तर्पण पितृ स्वीकार नहीं कर पाते। बुजुर्गों के सम्मान की अवहेलना जैसे कारणों से पितृ दोष आपके बच्चों की कुण्डली में भी बैठ सकते हैं।
वास्तु शास्त्र पर होगी चर्चा
संगोष्ठी के मार्गदर्शक व अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान के पं. चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि रविवार को अंतिम दिन वास्तु शास्त्र पर विभिन्न सत्र आयोजित होंगे। जिसमें विभिन्न ज्योतिष विद इस विषय पर जानकारी देंगे। संगोष्ठी के समापन पर लोग विभिन्न ज्योतिषियों से मुलाकात कर अपनी—अपनी समस्या बताकर उनके समाधान भी जान पाएंगे। जो पूरी तरह निशुल्क रहेगा।