-सैय्यद हबीब
उदयपुर 28 दिसम्बर / राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय की ओर से वैदिक गणित ‘‘नंबर रूल्स द यूनिवर्स ‘‘ पर ऑन लाईन, ऑफ लाईन राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता वैदिक गणित विशेषज्ञ डॉक्टर कैलाश विश्वकर्मा ने कहा कि गणित के सूत्रों को समझने का वैदिक गणित आसान तरीका है और वैदिक गणित अपनी वैज्ञानिक प्रासंगिकता रखता है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि वैदिक गणित गणना की एक प्राचीन प्रणाली है जिसमें गणितीय समस्याआंे को आसान और तेज तरीके से करने के लिए तकनीकों और सूत्रों को संग्रहित किया गया है। इसमें 16 सूत्र हैं और 13 उप सूत्र है। वैदिक गणित सूत्रों को अंक गणित, ज्यामिति, बीज गणित, शंकु और कैलक्युलेशन से सम्बंधित किसी समस्या को हल करने के लिए लागू किया जा सकता है। इससे छात्रों का समय तो बचता ही है साथ ही एकाग्रता शक्ति बढ़ाने, मस्तिष्क की शक्ति का विस्तार करने में मदद मिलती है व याद रखने में सुविधा रहती है। प्रो. सारंगदेवोत ने वैदिक गणित की आज के युग में प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यूजीसी ने अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को भारत की ओर आकर्षित करने की पहल करते हुए भारतीय विरासत और संस्कृति जैसे वैदिक गणित, संस्कृत, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष आदि पर आधारित पाठयक्रम शुरू किए हैं।
प्रारंभ में निदेशक डॉ. सपना श्रीमाली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए एक दिवसीय सेमीनार की जानकारी दी।
संचालन सिद्धिमा शर्मा ने किया जबकि आभार डॉ. मंगल श्री दुलावत ने जताया।
इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. चंद्रेश छतलानी, डॉ. उत्तम प्रकाश शर्मा, डॉ. भावेश जोशी, डॉ. दीप्ति सोनी, डॉ. योगिता श्रीमाली, डॉ. खुशबू जैन, लालिमा शर्मा, शक्तिका चौधरी, विकास सहित विद्यार्थी उपस्थित थे।
वैदिक गणित में बड़ी बड़ी गणनाओं को सैकंड में करने की क्षमता – प्रो. सारंगदेवोत
