व्यक्ति पुराने आघातों को याद और वैर वैमनस्य की गाठ बांध कर मस्तिष्क को डस्टबिन बना रहाःःसंयम ज्योति

उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये जा रहे चातर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि भौतिक दृष्टि से जो सम्पन्न है, परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से जो सम्पन्न नहीं है, जो ग्रंथी विमोचन नही करता है, वैर वैमनस्य की गाँठे बांधता है, वह भिखारी है, दया का पात्र है।
साध्वी ने कहा कि जो आध्यात्मिक दृष्टि से सम्पन्न है, ग्रंथी विमोचन करता है, किसी प्रकार की गांठ नहीं बाँधता है दूसरो के ग्रंथी विमोचन में सहायक बनता है, वह सम्राट है, प्रेरणा स्त्रोत है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने घर में कचरा नहीं रखता, घर के बाहर कोई कचरा डाल देता है तो उसे तुरन्त हटाता है परंतु समझ में नहीं आता अपने मस्तिष्क को क्यों डेस्टबिन बनाता है। अपने मस्तिष्क में छोटी-2 बातों का स्टोर करता है राई का पहाड़ बनाता है। दो वर्ष पुराना कलेन्डर अपने घर में नही रखता परंतु वर्षे पुराने आघातों को याद करता है और वैर वैमनस्य की गाठ बांधता रहता है और प्रतिशोध की आग में जलता रहता है। साध्वी ने कहा कि जो छोटी-छोटी बातों का इग्नोर करता है, वही ग्रंथी विमोचन करके सम्राट बन सकता है।

By Udaipurviews

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