विदाई की वेला पर श्रद्धालुओं की आंखों से बहे अश्रु
– जय-जयकार जय-जयकार विजय गुरू की जय-जयकार से गूंजा नभ
उदयपुर, 16 नवम्बर। केशवनगर स्थित नवकार भवन में आत्मोदय वर्षावास की पूर्णाहूति पर हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. एवं उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. आदि ठाणा के साथ शनिवार सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर मंगल विहार। विहार की वेला पर भारी संख्या में श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित हुए। विहार से पूर्व आचार्य श्री जी ने सभी को मांगलिक फरमाई, मांगलिक पश्चात सभी ओर से हु शि उ चौ श्री ज ग नाना विजय चमकते सूर्य समाना, जय-जयकार जय-जयकार विजय गुरू की जय-जयकार से गगन गूंजायमान हो गया। इस अवसर पर कइयों की आंखों से अश्रुधारा बह निकली।
श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि शनिवार को आचार्य श्री जी के मंगल विहार की वेला पर अलसुबह से ही नवकार भवन पर श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाओं का हुजूम उमड़ पड़ा। विहार की वेला में कई श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रु निकल पड़े। विहार से पहले सभी श्रद्धालुओं को आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने मांगलिक प्रदान की, इसके बाद ठीक 8 बजकर 21 मिनट पर आचार्य श्री विजयराज जी म.सा., उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनि जी म.सा. आदि ठाणा ने विहार किया एवं न्यू केशवनगर मैन रोड़, रूपसागर मैन रोड़ होते हुए शुभ मंगल वाटिका पधारे जहां विशाल जनमेदिनी धर्मसभा में परिवर्तित हो गई। आचार्य श्री ने उपस्थित जनमेदिनी को उद्बोधित करते हुए कहा कि जीवन में सत्य को प्रतिष्ठित करें। गौतम स्वामी ने प्रभु महावीर से पूछा कि लोक का सार क्या है? तो प्रभु ने कहा कि लोक का सार सत्य है। जीवन में सत्य प्रतिष्ठित हो जाता है तो हम कषाय से भी मुक्त हो जाते हैं। सत्य जीवन में निश्चिंतता लाता है। सत्य से ही शान्ति, शक्ति व सुरक्षा मिलती है। सत्य की नौका में बैठकर ही कितने ही जीवों का कल्याण हुआ है। तपस्या करने हेतु तन की शक्ति, मन की भक्ति एवं जीवन में विरक्ति चाहिए पर तप हर कोई नहीं कर सकता। हम सत्य के साथ जिएंगे, यह संकल्प तो हर कोई ले सकता है। इसके लिए सकारात्मक सोच चाहिए। सत्य सकारात्मक सोच में, शान्ति में बसता है। सोच सही हो तो सब सही होने लगता है। सही सोच से ही सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण होता है। उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि मनुष्य जन्म बड़ा दुर्लभ है। हम तय करें कि इस दुर्लभ मनुष्य जीवन में हम नूतन जीवन का निर्माण करें। हम अपनी आंख, कान, नाकादि पंचेन्द्रियों की शक्ति का सदुपयोग करें। हम अपने मस्तिष्क से व्यर्थ की बातों को निकाल कर नवीन सद्प्रेरणाओं को अपनाएं। संत जिनवाणी का प्रसाद बांटते हैं, उसे गले से नीचे उतार कर हृदयंगम करें। श्रद्धेय श्री विशालप्रिय जी म.सा. ने फरमाया कि हम शरीर को ही सत्य मान रहे हैं, जबकि यह तो पुद्गल है। हमें समझना होगा कि आत्मा ही सत्य है, हम अपनी आत्मा को पुष्ट करें। श्रीसंघ महामंत्री पुष्पेन्द्र बड़ाला ने बताया कि आनंदीलाल बम्बोरिया ने आगत सभी अतिथियों का स्वागत किया। सभा में रजनी सरूपरिया एवं सखियों ने विदाई गीत एवं गोटू लालजी लसोड़ ने विचार व्यक्त किये . मीडिया प्रभारी डॉ. हंसा हिंगड़ ने बताया कि गौतम प्रसादी के लाभार्थी मंजू ललित बम्ब थे। वहीं आचार्य श्री जी की दोपहर की मांगलिक लवली स्टेट में हुई। श्री बलवन्त सिंहजी कोठारी ने सभी का आभार माना .आचार्य श्री रविवार प्रातः की प्रार्थना ऋषभ- पारस मेहता के निवास पर कराएंगे, तत्पश्चात विहार कर सेक्टर-3 महावीर भवन पधारेंगे जहां सवा नौ बजे से व्याख्यान होगा।