आज भी भारतीय मध्यम वर्गीय उपभोक्ता जब भी किसी कार को खरीदने का निर्णय करता है तो उसके मस्तिष्क में सर्वप्रथम यही प्रश्न उठता है कि वह कम लागत में अधिक सुविधायुक्त अपने बजट के अनुसार किसी कार या वाहन को खरीदें।
जब से सम्पूर्ण विश्व मे महामारी कोविड- 19 ने दस्तक दी,तब से हर भारतीय परिवार ने बजट के अनुसार अपनी सुविधानुसार कार खरीदने का निर्णय किया।
आज भी भारतीय उपभोक्ता जब भी कार खरीदने का निर्णय करता है तो उसके मस्तिष्क में सर्वप्रथम कार की कीमत,ब्राण्ड, सुविधा,नई तकनीक, अधिक माइलेज क्षमता व परिवार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखता हैं।
यह निष्कर्ष माधव विश्वविद्यालय, आबूरोड़, सिरोही (राज.) के वाणिज्य एवं प्रबन्ध अध्ययन संकाय की शोधार्थी पार्वती कुमावत ने अपने शोध ” भारत के मध्यवर्गीय परिवारों में प्रीमियम यात्री कार सेगमेंट खरीदने के निर्णय और धारणा पर एक महत्वपूर्ण अध्ययनः (उदयपुर जिले के विशेष संदर्भ के साथ एक केस अध्ययन)” में संपन्न किया है। इसी निष्कर्ष के आधार पर पार्वती कुमावत ने अपने शोध निष्कर्ष में बताया कि आज भी भारतीय परिवारों में कोई भी चौपहिया वाहन (कार) क्रय-निर्णय का फैसला परिवार के पुरुष मुखिया ही लेते हैं। शोध में अधिकांशतया उन्हीं लोगों ने कार क्रय की जो कि एक एकल परिवारों से सम्बंधित थे।
इन उत्तरदाताओं में सर्वाधिक निजी क्षेत्र में कार्यरत रहते हुए 40000/- मासिक आमदनी होने के बावजूद पहली बार कार खरीदने का निर्णय किया। ज्यादातर उपभोक्ताओं ने कार खरीदने से पूर्व, स्वयं के स्रोतों से जानकारी जुटाकर, सगे सम्बधियों व कार डीलर्स से जानकारी जुटाई। अधिकांशतया कार उपभोक्ताओं ने कार खरीदने के पश्चात् कार की बकाया राशि 25 से 36 मासिक किश्तों में चुकाई।
इस शोध में कुमावत ने बताया कि -” अधिकांशतया कार उपभोक्ताओं ने कार खरीदते समय ब्राण्ड, नयी तकनीक क्षमता, बैठक क्षमता, ईंधन खपत, सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए भी निर्णय लिया तथा इन मानकों पर उम् एवं मासिक आय का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
“शोधार्थी पार्वती कुमावत ने अपने शोध निष्कर्ष मे सुझाव देते हुए बताया कि ऑटोमोबाइल कम्पनियों (कार निर्माता) को भी उपभोक्ताओं की धारणाओं को ध्यान में रखते हुए कम लागत व अधिक सुविधा वाली कारों का निर्माण किया जाना चाहिये।
क्योंकि समय-समय पर कारों में होने वाली आधुनिक तकनीक को भी ध्यान में रखा जाना चाहिये। समय बीतने के साथ-साथ उपभोक्ताओं की आय, आयु, शिक्षा, मानसिकता व उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव आता है। समय- समय कार निर्माता कम्पनियों को भी ‘आटो मोबाइल शो” को भी प्रायोजित करना चाहिये, ताकि, लोगों में कारों के प्रति जागरुक करके अधिकाधिक कारों की बिक्री बढ़ायी जा सके।
कार-निर्माताओं को कार ब्राण्ड बड़े स्तर पर प्रायोजित करने के बजाय छोटे स्तर पर छोटे व मध्यम आय वाले ग्राहकों को आकर्षित करना चाहिये, ताकि कार निर्माताओं को न्यूनतम लागत के साथ-साथ अधिक लाभ प्राप्ति हो सके तथा साथ ही ऐसे उपयोक्ता जो कम आय वाले समूह से सम्बंधित है, तो ऐसे उपभोक्ता को अधिक आकर्षित किया जा सके। कार निर्माताओं को कारों का निर्माण करते समय ईंधन, अनुरक्षण में मितव्ययिता, न्यूनतम कार मूल्य,वित्तीय सुविधाएं, व वारण्टी सुविधायें भी प्रदान की जानी चाहिये।
डॉ. पार्वती कुमावत ने यह शोध कार्य उदयपुर शहर के चयनित 300 उपभोक्ताओं से प्रश्नावली के आधार पर किया गया है।