भीलवाड़ा जिले का मामला, व्यापारियों की राय आबकारी विभाग की तरह जब्त नकली सामान को नष्ट किया जाए
-सुभाष शर्मा
उदयपुर, । चिकित्सा विभाग ने ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान के तहत जिस देशी घी को नकली और मिलावटी मानते हुए जब्त किया, उसी से अब विभाग कमाई करने जा रहा है। मामला भीलवाड़ा जिले का है। जहां विभाग जब्त किए गए 2 हजार 890 लीटर कथित देशी घी को नीलाम कर कमाई करने जा रहा है।
मिली जानकारी के अनसार भीलवाड़ा जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने ‘शुद्ध के लिए युद्व’ अभियान के तहत नकली और मिलावटी सामान जब्त किया। जिसमें 2 हजार 890 लीटर देशी घी भी शामिल है। ‘श्रीपाल मार्क’ वाला इस देशी घी को नीलाम किए जाने की तैयारी विभाग ने की है। इस घी को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग आगामी 28 नवम्बर को नीलाम करने जा रहा है। जिसके लिए तीन लाख रुपए न्यूनतम कीमत तय की है। हालांकि विभाग इसके खरीदार से इस बात का शपथ पत्र नान ज्यूडिशियल स्टाम्प पर लेगी कि वह इस घी का उपयोग खाद्य के रूप लेने के लिए ना तो उपयोग लेंगे और ना ही इसे बेचेंगे।
पॉम आयल से भी सस्ता, साबुन निर्माता कंपनियों के लिए पड़ेगा महंगा
इस मामले में भीलवाड़ा के व्यापारियों से बात की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली है। उनका कहना है कि जिस ब्रांड का देशी घी जब्त किया गया है, उसकी कीमत महज 103 रुपए लीटर है। साबुन निर्माता कंपनियां साबुन बनाने के लिए सस्ता पॉम आयल उपयोग में लेती हैं, जिसकी कीमत सौ रुपए लीटर से कम होगी। ऐसे में इस घी को खरीदार साबुन निर्माण के उपयोग में लेगा या बाजार में बेच देगा, इसकी गारंटी कौन देगा। बाजार में देशी घी की सुगंधी वाला ‘सेंस’ आसानी से मिलता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह आबकारी विभाग जब्त सामान को जलाकर नष्ट कर देता है, उसी तरह चिकित्सा विभाग को भी जब्त नकली सामान को नष्ट कर देना चाहिए। इस मामले में एक साबुन निर्माता कंपनी के प्रबंधक विजय शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि साबुन निर्माता कंपनियों का यह घी महंगा पड़ेगा। जबकि विभाग के फुड इंस्पेक्टर प्रेम शर्मा का कहना है कि नीमाली में घी खरीदने वाले को शपथ पत्र देना होगा कि वह इसे मानव के उपयोग में नहीं लेगा।