उदयपुर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के नूतन सभागार में राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के संस्थापक डॉं0 ए. राठौड़ की स्मृति में ’’भारतीय ज्ञान प्रणाली और समसामयिक खोजें’’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया ।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉं0 बी.पी. शर्मा, अध्यक्ष यूनेस्को-एमजीआईईपी और अध्यक्ष पेसिफिक ग्रुप ऑफ युनिर्वसिटीज ने व्याख्यान में बताया कि आधुनिक युग में होने वाले आविष्कारों एवं खोजों के बारे में गहन अध्ययन करने पर पाया कि इनका उल्लेख तो भारत वर्ष के पौराणिक एवं वैदिक काल के शास्त्रों में बहुत पहले से ही दिया हुआ है । उन्होने विद्यार्थियों से प्राचीन शास्त्रों के अध्ययन की प्रासंगिकता के महत्व पर जोर दिया और बताया कि हमारे पूर्वज आदि काल से ही ऐसे-ऐसे खाद्यान उपभोग में लेते थे जिससे वे बीमार नहीं पड़ते परन्तु आज के दौर में विषैले खाद्यान्नों के उत्पादन व उपभोग से अनेक प्रकार की बिमारियॉं फैलने की बात कही । उन्हांेने बताया कि पौराणिक काल से ही मेथी जो कि कड़वी घास है, को बतौर सब्जी के रूप में उपयोग लिया जाता रहा है जो कि मनुष्य के शरीर के लिये बहुत ही लाभाकारी एवं गुणकारी है । वर्तमान युग में कृषि रसायनों के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुये कृषि उत्पादन में इन विषैले रसायनों का उपयोग रोकना व पारम्परिक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला । मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर एवं जय नारायणव्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति डॉं0 अजीत कुमार कर्नाटक ने अपने सम्बोधन में डॉं0 ए राठौड़ को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुय,े वर्ष 1955 में राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर की स्थापना को कृषि शिक्षा जगत में बड़ी उपलब्धी बताई तथा डॉं0 राठौड़ की दूरदृष्टि का उल्लेख किया तथा विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाताओं से अपेक्षा की गई कि वे अपने-अपने महाविद्यालय के प्रथम संस्थापक की स्मृति में प्रति वर्ष एक-एक स्मृति व्याख्यान का आयोजन आवश्यक रूप से करें । डॉं0 कर्नाटक ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वैदों व पुराणों में उल्लेखित पीढ़ियों से चले आ रही ज्ञान परम्पराओं को बनाये रखना चाहिये । कार्यक्रम में महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉं0 आर.बी. दुबे द्वारा उपस्थित सभी सहभागियों का स्वागत करते हुये महाविद्यालय के प्रथम संस्थापक अधिष्ठाता डॉं0 ए. राठौड़ के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुये उनकी स्मृति में आयोजित होने वाले व्याख्यान के विषय को आज के समय की जरूरत बताया । कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय के सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉं0 एस.एस. लखावत द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम का संचालन डॉं0 विरेन्द्र नेपालिया, विशेषाधिकारी कुलपति सचिवालय ने सभी अतिथियों का स्वागत/आभार व्यक्त किया ।
प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन प्रासंगिक: प्रोफेसर शर्मा
