समारोह में डॉ. अभय दशोरा प्रोजेक्ट इंचार्ज मसाला फसल ने किसानों से आह्वान किया कि वे प्रशिक्षण के उपरान्त एफपीओ का सगंठन कर अपने क्षेत्र में प्रसंस्करण इकाई की स्थापना करें। फसल को कटाई उपरान्त बेचने के मुकाबले ग्रेडिंग, क्लीनिंग, पैकेजिंग एवं प्रोसेसिंग से ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर पाऐंगे।
डॉ. मणी राम, वैैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र वल्लभनगर ने बताया कि राजस्थान में मसाला फसलों के महत्व एवं आवश्यक दशाओं पर चर्चा करते हुए कृषकांें केा मसाला फसलों की उपयोगता एवं उसके उत्पादन वृद्धि कर आमदानी बढ़ाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। डॉ. उर्मिला सह-परियोजना अधिकारी, अनुसंधान नदेशालय उदयपुर ने मसाला फसलों में मृदा स्वास्थ्य और समन्वित पोषक तत्व प्रबन्धन का महत्व बताया। डॉ. करण सिंह ने विभिन्न मसाला फसलों के प्रमुख कीट-रोग एवं उनके प्रबंधन की जानकारी के साथ ही मसाला फसलों के उत्पादन द्वारा आर्थिक स्तर सुधारने की आवश्यकता जताई।
उक्त प्रशिक्षणों में उदयपुर क्षेत्र के कुल 93 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया। जिन्हे विश्ववद्यालय द्वारा प्रकाशित कृषि कलेण्डर दिया गया।
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