राजस्थान किसान आयोग का उदयपुर दौरा-जिले के कृषकों, कृषि श्रमिकों, पशुपालकों, दुग्ध उत्पादकों एवं अन्य स्टेकहोल्डर से किया संवाद
उदयपुर, 29 अक्टूबर। राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला अन्य सदस्यों के साथ शनिवार को उदयपुर दौरे रहे। आयोग ने उदयपुर स्थित राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में जिले के कृषकों, कृषि श्रमिकों, पशुपालकों, दुग्ध उत्पादकों एवं अन्य स्टेकहोल्डर के साथ संवाद किया।
राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष खंडेला ने कहा कि कृषकों के उत्थान और प्रदेश की कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत प्रतिबद्ध है और सरकार की ओर से कृषकों को समृद्ध व उन्नत बनाने के लिए लगातार प्रभावी प्रयास किये जा रहे। उन्होंने कृषकों को सहायता एवं सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से जारी विभिन्न योजनाओं एवं ऋण व अनुदान व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी और कृषकों से इसका लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कृषक कल्याण से जुड़े विभागों व संस्थाओं को इन योजनाओं व कार्यक्रमों के व्यापक प्रचार-प्रसार करने व ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाकर किसानों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए।
भौगोलिक स्थितियों को देख बनाया जाएगा आगामी कृषि बजट:
उन्होंने कहा कि आगामी कृषि बजट में उदयपुर की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कृषक योजनाओं को मूर्त रूप दिया जायेगा। जैसे तारबंदी, फार्म पौण्ड, पाईपलाईन जैसी महती योजनाओं का लाभ जनजाति बहुल छोटी जोत के किसानों को दिलवाने का भरसक प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रथम कृषि बजट में फार्म पोंड का लक्ष्य 5000 हजार से बढ़ाकर 15000 कर देने से किसानों को लाभ मिला है। आगामी बजट में भी छोटे किसानों के हित की योजनाओं को अमल में लाया जायेगा।
किसानों को तकनीकी सुविधा उपलब्ध करा रही सरकार:
उन्होंने कहा कि देश के विकास में कृषकों का महत्वपूर्ण स्थान है और देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कृषकों के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाएं एवं कार्यक्रम संचालित किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा है कि प्रदेश का किसान खुशहाल बने और कृषि व्यवस्था उन्नत हो। इसके लिए कृषकों को तकनीकी सुविधाएं भी सरकार के स्तर पर उपलब्ध कराई जा रही है।
आयोग अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के निर्देश पर आयोग किसानों तक पहुंच रहा है और इस प्रकार के संवाद कार्यक्रमों के माध्यमों से किसानों के साथ चर्चा करते हुए उनकी समस्याओं व सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त उन्हें सरकार को अवगत कराया जाएगा ताकि उनकी हर समस्या का उचित समाधान हो और कृषकों की राह आसान बने। इस कार्यक्रम में कृषकों ने आवश्यक सुझाव भी दिए और प्रगतिशील कृषकों ने नवाचारों के बारे में सदन को अवगत कराया। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि प्रगतिशील कृषक कृषि क्षेत्र में किये गये नवाचारों के बारे में अपने अन्य किसान भाईयों को अवगत कराए और हमारी कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में योगदान दें।
संवाद कार्यक्रम में आयोग के सदस्य कृषि विश्वविद्यालय कोटा के पूर्व कुलपति डॉ.जी एल केशवा, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के पूर्व निदेशक अनुसंधान डॉ सुखदेव सिंह बुरड़क, पूर्व निदेशक पशुपालन जयपुर डॉ राजेश मान, काजरी जोधपुर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ.बीरबल, राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण संस्था जयपुर के पूर्व निदेशक सुरेंद्र कुमार जैन, पूर्व विधायक नारायण राम बेड़ा, कृषि वैज्ञानिक डॉ. जी.एल. केसवा, उपनिदेशक डॉ. के.एन सिंह व डा. रविन्द्र वर्मा, सहायक निदेशक गिर्वा डॉ. लक्ष्मी कुंवर राठौड व ओम प्रकाश बैरवा, कृषि अधिकारी उपमा वशिष्ट व प्रगतिशील महिला कृषक श्रीमती सोहनी चौधरी ने भी कृषकों को संबोधित किया। संवाद कार्यक्रम के प्रारंभ में संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार बीएल पाटीदार ने स्वागत उद्बोधन दिया और आभार उपनिदेशक कृषि विस्तार जिला परिषद माधोसिंह चंपावत ने जताया।
इससे पूर्व जिले के चुनिंदा प्रगतिशील किसानों रमेश डांगी, भेरूलाल, उदयसिंह, रतनलाल जाट, रूपलाल मेनारिया आदि ने उदयपुर जिले के किसानों की प्रमुख समस्याओं को रेखांकित करते हुए विस्तृत जानकारी दी। किसानों ने नीलगाय की समस्या, जंगली सुअर से फसलों को नुकसान, फार्म पौण्ड पर अनुदान बढाना, समय पर खाद-बीज की उपलब्धता, किसानों को उसकी उपज का सही दाम मिले, अफीम की सरकारी खरीद मूल्य का पुनः निर्धारण करने की मांग की।
इस संवाद कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिक व विशेषज्ञ, कृषि, पशुपालन, डेयरी, नाबार्ड सहित कृषक कल्याण से जुड़े विभागों के अधिकारी, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि और जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रगतिशील किसान उपस्थित रहे।