अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गोष्ठी सम्पन्न

देवी का नहीं, बस हमें इंसान का दर्जा दे दीजिए।
उदयपुर, 8 मार्च, 2024। महिला की कोई स्वतंत्र पहचान नहीं, उसके जन्म होने से मृत्यु होने तक पुरूष से ही उसकी पहचान जुड़ी हुई है, ये कैसी दुनिया है? महिला स्वतंत्र मानी जावेगी, जब उसके जीवन के सभी निर्णय लेने का अधिकार महिला को ही हो। क्या महिला की पहचान किसी की बेटी, पत्नी, माँ, बहन होने तक ही सीमित है……. यह विचार लेखक एवं साहित्यकार डॉ. कुसुम मेघवाल ने अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति और भारतीय ट्रेड यूनियन केन्द्र (सीटू) के संयुक्त तत्वावधान में हाथीपोल चौराहा पर अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर के पूर्व “महिला की पहचान और आधी दुनिया“ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि कई लोग महिला स्वतंत्रता की बात करते है, लेकिन आज भी महिला को उसके शरीर तक पर अधिकार प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि नारी मुक्ति का मतबल पुरूष से न हो, पुरूष प्रधान समाज से मुक्ति है।
गोष्ठी में सीटू जिलाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने कहा कि महिला को गुलामी से मुक्ति एवं समानता का अधिकार प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि धर्म, जाति, रीति-रिवाज, परम्परा के नाम पर महिलाओं को गुलाम बनाने का षड़यंत्र किया गया। उन्होंने कहा कि मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था में महिला को वस्तु समझा गया है। महिला को स्वतंत्रता एवं समानता का अधिकार समाजवादी समाज व्यवस्था में संभव है, इसलिए महिलाओं को अपने रोजमर्रा के संघर्ष को व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष के साथ भी जोड़ना होगा।
गोष्ठी में ब्युटिशियन अशोक पालीवाल ने कहा कि जिस घर में महिला का सम्मान होता है, वह घर स्वर्ग के समान होता है, लेकिन महिला को उसका सम्मान आज तक नहीं मिला, इसलिए महिलाओं को एकजुट होकर बदलाव के संघर्ष में शामिल होना होगा। उन्होनंे कहा कि कहने को तो महिलाएं आजाद है, लेकिन वास्तव में समाज में उसे पुरूषों के समान अधिकार नहीं मिले हैं।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महिला समिति की सचिव व पूर्व पार्षद गणपती देवी सालवी ने कहा कि “हमें देवी का दर्जा नहीं चाहिए, हमें तो बस इंसान मान समाज में बराबरी का दर्जा दे दीजिए।“ उन्होंने कहा कि एक मानवीय जीवन के लिए 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम और 8 घंटे सामाजिक, पारिवारिक जीवन के बंटवारे के समय को माना गया है, लेकिन महिलाएं रोज 14 – 18 घंटे काम करती है, लेकिन उसके काम का कोई मौल नहीं है और उस पर यह सवाल उठाये जाते है कि तुम करती ही क्या हो।

गोष्ठी में नेशनल हॉकर्स फैडरेशन के राज्य संयोजक याकूब मोहम्मद ने कहा कि सभ्य समाज और महिलाओं को समानता के अधिकार के लिए पुरूषों में भी चेतना पैदा करनी होगी। महिला के सम्मान एवं स्वतंत्रता की लडाई पुरूषों के खिलाफ न होकर वह एक सभ्य समाज के लिए है।
गोष्ठी में ठेला व्यवसायी मजदूर एकता यूनियन के अध्यक्ष मोहम्मद निजाम ने कहा कि महिला के श्रम की कोई कीमत नहीं है, अगर महिला के श्रम का हिसाब निकाला जाये तो मालूम होगा कि दुनिया की सबसे बड़ी ठगी महिला श्रम के साथ हुई है।
गोष्ठी में जनवादी महिला समिति की सचिव रानी माली ने कहा कि महिलाओं की योग्यता एवं काम पर हमेशा सवाल उठाकर उनके सामने पहचान का संकट पैदा किया जाता है, लेकिन महिलाएं हर चुनौती का सामना कर आगे बढ़ रही है और मुझे गर्व है कि मैं एक महिला हूॅ।
गोष्ठी में हाथीपोल ठेला व्यवसायी मजदूर यूनियन की अध्यक्ष तुलसी देवी ने कहा कि समाज में धन के लाभ का काम पुरूष और अलाभ के काम को महिला के साथ जोडा गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के बारे में यह कहा जाता है कि उन्हें राजनीति से क्या मतलब है, जबकि राजनीति ही महिलाओं के जीवन स्तर एवं उसके अधिकार को तय करती है।
गोष्ठी में निर्माण मजदूर एकता यूनियन के अध्यक्ष शमशेर खान ने कहा कि सीटू की राष्ट्रीय अध्यक्ष के. हेमलता है और यह पुरूष प्रधान समाज में दिखाता है कि सीटू का महिलाओं के प्रति क्या सम्मान है।
गोष्ठी में मरियम बानो, जमना देवी, लक्ष्मीलाल कुमावत, अमजद शेख, मोहम्मद शाहीद, दिनेश पटेल, आदि ने भी अपने विचार रखे।
गोष्ठी में गाजियाबाद से आये मजदूर नेता उत्तम पाठक ने महिलाओं को समर्पित कविता पेश की।
अन्त में महिलाओं से एक बेहतर समानतावादी समाज बनाने के लिए संघर्ष में भागीदारी करने की अपील की गई।
गोष्ठी के पश्चात् महिलाओं के खेलकूद कार्यक्रम आयोजित किये गये।
By Udaipurviews

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