प्रेम मानवीय भावनाओं और संबंधों की प्रेरक शक्ति : प्रो. सारंगदेवोत

भाषा एवं संस्कृति महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ
उदयपुर, 13 फरवरी। प्रेम मानवीय भावनाओं और संबंधों की प्रेरक शक्ति है, जबकि बुद्धि एक मार्गदर्शक प्रकाश की तरह कार्य करती है, जो सही निर्णय लेने में सहायता करती है। प्रेम से रिश्ते मजबूत होते हैं, और बुद्धि उन्हें संतुलित व सार्थक बनाए रखने में सहायक होती है। यदि प्रेम अत्यधिक हो और उसमें बुद्धि का अभाव हो, तो यह आवेगपूर्ण निर्णयों की ओर ले जा सकता है, वहीं दूसरी ओर, यदि बुद्धि अत्यधिक हो और प्रेम न हो, तो व्यक्ति ठंडा और दूर लग सकता है। संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, जिससे प्रेम को सही दिशा मिले और वह परिपक्वता के साथ व्यक्त किया जा सके।
ये विचार गुरुवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय एवं अंजुमन तरक्की उर्दू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भाषा एवं संस्कृति महोत्सव 2025 के उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने कहे। श्रमजीवी महाविद्यालय में “लव एंड विजडम इन अवर लाइफ” विषय पर आयोजित इस महोत्सव के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. कर्नल शिव सिंह सारंगदेवोत ने की।
उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि जीवन में बुद्धि प्रेम को मार्गदर्शन देती है, जिससे व्यक्ति दूसरों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ पाता है और किसी भी परिस्थिति में संयम व संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करता है। प्रेम भी बुद्धि को समृद्ध करता है, क्योंकि गहरा प्रेम हमें अधिक समझदार और संवेदनशील बनाता है। यह संतुलन कठिन समय में प्रियजनों का सहारा बनने, रिश्तों में स्वस्थ सीमाएँ बनाने और करुणा के साथ निर्णय लेने में सहायक होता है। जब प्रेम और बुद्धि संतुलित होते हैं, तो व्यक्ति के रिश्ते गहरे, मजबूत और अधिक अर्थपूर्ण बनते हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत जीवन समृद्ध होता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मकता और सामंजस्य बना रहता है।
आयोजन अध्यक्ष प्रो. हेमेंद्र चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम में कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर सहित डॉ. राधिका चोपड़ा, राजस्थानी भाषा के विद्वान प्रो. कल्याण सिंह शेखावत (जोधपुर), प्रो. शफी किदवई विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संकाय के निदेशक प्रो. मलय पानेरी व आयोजन सचिव प्रो. सरबत खान ने भी विचार रखे।
दो दिवसीय महोत्सव अंतर्गत विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जा रहा है। उद्घाटन सत्र के उपरांत पूरे दिन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, राजस्थानी और उर्दू भाषाओं पर केंद्रित विविध व्याख्यान आयोजित किए गए, जिनमें विषय विशेषज्ञों ने प्रेम व बुद्धिमत्ता के जीवन में महत्व पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किए।
भव्य भारती अविरल धारा संस्कृत काव्यधारा भाषा संस्कृति महोत्सव में बही। भाषा व संस्कृति महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर छात्रों के माध्यम से परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसमें संस्कृत भाषा की परिचर्चा में सुखाड़िया विश्वविद्यालय से विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा, संस्कृत शिक्षा से डॉ. भगवती शंकर व्यास, डॉ. चंदन बाला मारू, श्रीनिवासन अय्यर ने विचार रखे।
साथ ही हिन्दी विषय में हिंदी विभाग द्वारा नागार्जुन मंच के तहत प्रसिद्ध हिंदी कहानीकार प्रो. तराना परवीन द्वारा उनकी अनोखे प्रेम को प्रदर्शित करती, मार्मिक एवं विचारोत्तेजक कहानी का पाठ किया गया। नागार्जुन मंच के तहत ही द्वितीय सत्र में प्रसिद्ध रचनाकार डॉ. सदाशिव श्रोत्रिय से डॉ. हुसैनी बोहरा द्वारा लेखक से मिलिए: संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इसी क्रम में अंग्रेजी विभाग द्वारा भी भाषा एवं संस्कृति महोत्सव 2025 के अंतर्गत व्याख्यान आयोजित किया गया
अतिथि के रूप में मुख्य वक्ता भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय से प्रो. अपर्णा शर्मा, मुख्य अतिथि टेक्नो एनजेआर से प्रो. रेखा तिवारी, कवि लेखक अनुभूति जैन, डॉ. शारदा वी भट्ट, आयोजन सचिव डॉ. आरती जैन उपस्थित रहे। साथ ही इस अवसर पर विद्यार्थियों ने कविता पाठ के साथ अपनी विभिन्न रचनाओं से प्रतिभा को दर्शाया। संचालन डॉ. चित्रा दशोरा ने किया।
इसी क्रम में उर्दू भाषा मैं भी परिचर्चा हुई जिसमें  प्रो. तारीक छतारी, प्रो. ख्वाजा इकराम,  प्रो. मंजू चतुर्वेदी  ने लव एंड विजडम इन आवर लाइफ विषय पर विचार रखे। शाइस्ता ने कविता पाठ किया।

अतिथियों द्वारा जावेद दानिश और शाइस्ता की पुस्तकों का विमोचन किया गया।

सायंकालीन सत्र में प्रसिद्ध संगीत गायिका डॉ. राधिका चोपड़ा की उपस्थिति में ग़ज़ल व गीत संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें श्रोताओं ने संगीतमय प्रस्तुति का आनंद लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हिना खान व डॉ. हरीश चौबीसा ने किया। आयोजकों के अनुसार, महोत्सव के दौरान साहित्य, भाषा और संस्कृति से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन चर्चा होगी, जिससे प्रतिभागियों को नई दृष्टि मिलेगी।
By Udaipurviews

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