उदयपुर.कश्ती फाउंडेशन की पहल स्टूडियो चित्र ने कला गुरु एवं प्रसिद्ध कलाकार प्रोफेसर सुरेश शर्मा के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रोफेसर सुरेश शर्मा ने इस बातचीत के दौरान अपनी कला यात्रा के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि एक कलाकार को सदैव कार्य करते रहना चाहिए। यदि वह काम नहीं कर सके तो वह कलाकार नहीं हो सकता है। प्रोफेसर सुरेश शर्मा को वर्ष 1961, 1963 एवं 1970 में तीन बार राजस्थान ललित कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त कल के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिला। वे भारत सरकार के सीनियर फेलो व राष्ट्रीय ललित कला अकादमी निर्वाचित फैलो रह चुके हैं। उन्होंने कई युवाओं को कला के क्षेत्र में मार्गदर्शन देने के साथ-साथ कला शिविरों का आयोजन करने एवं भारत और विदेश में कलात्मक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी कलाकृतियों को नई दिल्ली की नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट, न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन म्यूजियम एवं जयपुर के स्टेट कंटेंपरेरी आर्ट गैलरी में सहेज कर रखा गया है। स्टूडियो चित्र में आयोजित इस संवाद के दौरान प्रोफेसर शर्मा ने कला के विभिन्न पक्षों एवं बारीकियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर श्रद्धा मुर्डिया, डॉ चित्रसेन,भगवान लाल सेन, कुमार अशोक, ललित शर्मा,हेमंत द्विवेदी,चेतन औदीच्य, नसीम अहमद,संदीप पालीवाल, बसंत कश्यप, रघुनाथ शर्मा, सुनील लड्डा, कपिल पालीवाल,रजत मेग्नानी आदि मौजूद थे।
कलाकार को सदैव कार्य करते रहना चाहिए
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