साहित्य उत्सव समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता लाने में सहायक – कर्नल अनिल देव सिंह जसरोटिया

चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव में के दूसरे दिन विभिन्न भाषा के सत्र सम्पन्न
चित्तौड़गढ़ 17 जनवरी। सैनिक स्कूल के प्राचार्य कर्नल अनिल देव सिंह जसरोटिया ने कहा कि साहित्य उत्सव समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता लाने में सहायक होते हैं। भविष्य में इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन होते रहने चाहिए।
कर्नल अनिल देव सिंह शुक्रवार को सैनिक स्कूल में यूथ मूवमेंट राजस्थान के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव-2025 के दूसरे दिन सैनिक स्कूल के शंकर मेनन सभागार में आयोजित विशेष नाटक “पार्क” का मंचन के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
इससे पूर्व स्काउट गाइड मुख्यालय में आयोजित पहले सत्र लेखक की बात सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गिरीश पंकज ने कहा कि मैं नहीं बल्कि विधाएं मुझे पकड़ती है। राजस्थानी सत्र में डाॅ. मोनिका गोड़ ने कहा कि राजस्थानी साहित्य में हर विधा में संतो और लोक संस्कृति का विशेष महत्व है। सुनीता शेखावत जोधपुर व रीना मेनारिया उदयपुर द्वारा भी अपनी बात रखी।
उर्दू सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरिदी ने कहा कि गजल सफर करते करते केवल इश्क और माशूक तक नहीं बल्कि अब दौरे हाजिर में सामाजिक सरोकारों तक पहुंच चुकी है।
चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव के अंग्रेजी सत्र में डाॅ. पारितोष दुग्गड़ और शांति सक्सेना ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सभी संस्कृतियों में श्रेष्ठ व पौराणिक है़। इस सत्र में गिरजा शंकर त्रिवेदी और डाॅ.के.एस.कंग शामिल थे।
सिनेमा, नाटक और ओटीटी पर चर्चा में फिल्म निर्देशक श्री चिन्मय भट्ट ने कहा कि सिनेमा पर्दों से जुड़ा है जबकि नाटक मंचन दर्शकों के रूबरू जीवंतता के साथ पारस्परिक प्रतिक्रिया के माध्यम से प्रदर्शित होता है। आज ओटीटी का जमाना है, वहीं विविध टीवी चैनलों ने अलग-अलग धारावाहिकों से जनमानस को प्रभावित करते हैं। इस सत्र में भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक व प्रख्यात नाट्य निर्देशक निर्देशक डॉ.लईक हुसैन- उदयपुर, गायक कलाकार-श्री बृजेश मिश्रा- कोलकाता और यूथ मूवमेंट राजस्थान के संस्थापक अध्यक्ष श्री शाश्वत सक्सेना ने व्यक्त किये।
व्यंग्य सत्र में फारूक आफरिदी जयपुर, अरविंद मिश्र भोपाल, महेश बजाज पुणे और राजेन्द्र गटटानी ने अपने विचार व्यक्त किये। सिंधी भाषा सत्र में राजस्थान सिंधी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ लाल थडानी अजमेर, डाॅ. किशन रतनानी कोटा, कमल वरदानी उदयपुर और डाॅ.राजेश खटवानी ने विचार व्यक्त किये। कथा की बात सत्र में सांस्कृतिक चेतना की अभिव्यक्ति में हिंदी कथा साहित्य का योगदान के बारें में वक्ताओं ने बताया। शाम को कीर्ति कलश काव्य लहरी का कार्यक्रम संपन्न हुआ ।
By Udaipurviews

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