टीसीपी और नॉन टीएसपी पंचायतों ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका, बोले पैसा कानून का राज्य सरकार ने किया उल्लंघन
-राजेश वर्मा
उदयपुर, 17 जनवरी। राज्य सरकार की ओर से हाल ही में नगर निगम उदयुपर के सीमा विस्तार को लेकर जारी अधिसूचना से प्रभावित होने वाली टीएसपी और नॉन टीएसपी पंचायतों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुनौती दी। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए जवाब तलब कर प्रभावित पंचायतों को लेकर नया आदेश जारी करने पर आगामी 20 जनवरी तक रोक लगा दी है।
प्रकरण के अनुसार प्रस्तावित सीमा विस्तार से प्रभावित होने वाली ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियो की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में एडवोकेट अभिषेक पारीक के जरिए याचिका दायर कर स्थानीय स्वायत्त शासन विभाग जयपुर द्वारा गत 26 दिसम्बर को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई। इस पर खंडपीठ ने डीबी सिविल रिट याचिका संख्या 700/2025, मथुरा लाल बनाम राजस्थान राज्य पर सुनवाई की। एडवोकेट अभिषेक पारीक ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि अधिसूचना भारत के संविधान के अनुच्छेद 243जेडसी का उल्लंघन करती है और पंचायत (अनुसूचित जातियों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा अधिनियम, 1996) के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। राज्य विधानमंडल के पास अनुसूचित क्षेत्रों में नगरपालिकाओं से संबंधित कानून बनाने या प्रावधानों का विस्तार करने की शक्ति का अभाव है। सुनवाई में बताया गया कि पेसा अधिनियम 1996 का उल्लंघन, जो अनुसूचित क्षेत्रों में स्वशासन का प्रावधान करता है। पेसा अधिनियम के प्रावधानों में यह अनिवार्य किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने से पहले ग्राम सभा से परामर्श किया जाना चाहिए। अधिसूचना प्रभावित गांवों की ग्राम सभाओं से परामर्श किए बिना जारी की गई, जिससे इस वैधानिक आवश्यकता का उल्लंघन हुआ। अधिसूचना में गिर्वा ब्लॉक के कई गांवों को शामिल किया गया है जिसमें बलीचा, भोईयों की पंचोली, डाकन कोटड़ा, देबारी, कलड़वास, कानपुर, सवीनाखेड़ा (ग्रामीण), सीसारमा और तितरड़ी शामिल है जो नगर निगम सीमा में शामिल है। इन क्षेत्रों को गत 19 मई 2018 को अधिसूचित अनुसूचित क्षेत्र (राजस्थान राज्य) आदेश 2018 के तहत अनुसूचित क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि अधिसूचना विभागीय आदेश 11 अप्रेल 2019 के खंड 11 का उल्लंघन करती है, जिसमें इस तरह के बदलाव करने से पहले राजस्थान पंचायती राज अधिनियम के तहत जनता की राय लेना अनिवार्य है। खंडपीठ ने तर्कों को सुनने के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता के आश्वासन के आधार पर निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक गिर्वा ब्लॉक में ग्राम पंचायतों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा कोई और आदेश जारी नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को सूचीबद्ध की गई है।
नगर निगम विस्तार की अधिसूचना को चुनौती, हाईकोर्ट ने नए आदेश पर लगाई 20 तक रोक
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