सुविवि के भू विज्ञान विभाग की ओर से अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश से विशेषज्ञ लेंगें हिस्सा
उदयपुर, 17 दिसम्बर: करीब 460 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी की उत्पति से लेकर 75 करोड़ वर्ष पूर्व तक के कालखंड में वैश्विक स्तर पर हुए भू-विज्ञानी व भू-आकृतिक बदलावों के साथ पृथ्वी पर जीवन के उद्भव और खनिज न र्माण प्रक्रियाआं पर चर्चा करने लिए मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग की ओर से 19 दिसम्बर से 21 दिसम्बर तक यहां पृथ्वी-आर्कियन स प्रोटीरोजोईक काल तक विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जाएगी।
आयोजन सचिव अखिल द्विवेदी ने पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान की अरावली पर्वतमाला का निर्माण भी इसी काल के दौरान हुआ था। उन्होंने बताया कि भू-विज्ञान विभाग के स्थापना के प्लेटीनम जुबली वर्ष के तहत होने वाली इस संगोष्ठी में पृथ्वी पर आए सरंचनात्मक बदलावों आदि पर विगत वर्षों में हुए नवीन अनुसंधान एवं तकनीकी विकास पर चार तकनीकी सत्रों में चर्चा के अलावा एक सत्र में 105 शोध पत्रों का वाचन किया जाएगा। भू-विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रितेश पुरोहित ने बताया कि संगोष्ठी का उद्घाटन केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब के कुलपति प्रो आरपी तिवारी करेंगें जबकि विशिष्ठ अतिथि गुजरात खनिज विकास निगम के प्रबंध निदेशक रूपसिंह रावत, ऑयल इंडिया लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक सुमित्रो गोस्वामी व भू-विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो एबी राय होंगे। अध्यक्षता मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुनिता मिश्रा करेंगी। संगोष्ठी संयोजक डॉ अंजलीसिंह व डॉ अंकुश श्रीवास्तव ने बताया कि संगोष्ठी में देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, शोध एवं अनुसंधान केन्द्रों एवं सरकारी विभागों के 250 शोधकर्ता एवं भू-वैज्ञानिक भाग लेगें। विदेश से आमंत्रित वक्ताओं में अमेरिका से प्रो. जोसफ मेरिट, ब्रिटेन से प्रो. ग्राहम शिल्ड, चीन से प्रो. वेंग एवं प्रो. सन्तोष, स्विजरलेण्ड से प्रो. पीटर, आस्ट्रेलिया से प्रो. झाऊ, जर्मनी से प्रो. मार्क शामिल हैं।
हर 10000 साल में होता है बदलाव, अभी दो हिम युग में
पूर्व अधिष्ठाता डॉ विनोद अग्रवाल ने बताया कि सूर्य से 460 करोड़ साल पहले अलग होकर बनी पृथ्वी पर कई बदलाव हुए। कई करोड़ों साल बाद बने हिमालय में अभी भी बदलाव आ रहा है। तकनीकी विकास के चलते नई नई जानकारियां सामने आई है और उन पर काम हो रहा है। हर 10 हजार साल में पृथ्वी पर बदलाव आता है। वापस हिम युग आएगा। वर्तमान में हम दो हिम युग के बीच हैं।