होल्कर की स्मृति में आयोजित गोष्ठी में प्रबुद्धजनों ने रखे विचार
उदयपुर, 8 दिसंबर/ इंदौर की इतिहास प्रसिद्ध शासक अहिल्या बाई होल्कर ने न केवल सुशासन के बलबूते लोकमाता का दर्जा पाया बल्कि नारी उद्धार के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व कार्य किया। वे भारत में विधवाओं को संपति का अधिकार देने वाली पहली शासक थी। रविवार को सूचना केन्द्र में अहिल्या बाई होल्कर की स्मृति में आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष विष्णु शर्मा हरिहर ने यह विचार रखे।
परिषद की महानगर इकाई अध्यक्ष किरणबाला किरन ने बताया कि हरिहर ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिवाजी की माता जीजाबाई को इतिहास में जो स्थान प्राप्त है वहीं स्थान अहिल्या बाई होल्कर को भी दिया गया है। होल्कर ने एक कदम आगे बढ़ते हुए पति की मृत्यु के पश्चात शासन की बागडोर संभालते हुए आमजन की भावना के अनुरूप सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी त्याग एवं देने की भावना व स्वभाव के चलते उन्हें लोकमाता का दर्जा प्राप्त हुआ। किरन ने बताया कि गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रकाश तातेड़ थे। आशा पाण्डे ओझा, पूनम भू, लोकेश चौबीसा, गौरीकांत शर्मा सहित अन्य प्रबुद्धजन गोष्ठी में उपस्थित रहे। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन भी रखा गया जिसमें कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 14 से 16 तक उदयपुर में
परिषद के प्रांत अध्यक्ष विष्णु शर्मा हरिहर ने बताया कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 14 से 16 दिसंबर तक उदयपुर में आयोजित की जाएगी। बैठक में देशभर से आने वाले राष्ट्रीय पदाधिकारी परिषद की आगामी योजनाओं को लेकर विचार विमर्श करेंगे। इस संबंध में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।