जन्म मृत्यु रजिस्ट्रीकरण की जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक

लंबित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के दिए निर्देश
उदयपुर, 28 नवंबर। जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण की जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक गुरुवार को जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल के निर्देशन में जिला कलेक्ट्रेट स्थित मिनी सभागार में आयोजित हुई।
बैठक में आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के संयुक्त निदेशक महावीर प्रसाद ने कहा कि सभी रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लंबित प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करें तथा औपचारिक कार्रवाई होने के 7 दिनों के भीतर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो जाने चाहिए। उन्होंने जन्म-मृत्यु एवं विवाह की घटनाओं का नियमित एवं शत् प्रतिशत पंजीयन सुनिश्चित करने के लिए सम्बन्धित विभागों को समन्वय से कार्य करने तथा पहचान पोर्टल पर प्रमाण पत्रों के शत् प्रतिशत डिजीटल साईन करने एवं मृत्यु प्रमाण पत्र हेतु एमसीसीडी कोड प्रपत्र संख्या 4 एवं 4ए शत प्रतिशत उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि चूंकि राशन कार्ड में नाम जुड़वाने एवं हटवाने समेत विभिन्न कार्यों हेतु जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र आवश्यक दस्तावेज होता है, ऐसे में जन्म का पंजीयन निर्धारित समय पर हो जाना चाहिए तथा संस्थागत प्रसव में प्रसूता को प्रसव पश्चात अस्पताल से छुट्टी होने पर तत्काल जन्म प्रमाण पत्र सौंप देना है। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही अब आमजन को व्हाट्सएप पर भी डिजिटल हस्ताक्षरित जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र की सुविधा मिलने लगेगी।
बैठक के दौरान सहायक निदेशक पीयूष भंडारी, स्वास्थ्य निरीक्षक शेखर शर्मा, लक्ष्मी लाल मेघवाल, भावेश खत्री समेत विभिन्न संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

उद्योगों के लिए विशेष छूट योजना
उदयपुर, 28 नवम्बर। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा उद्योगों, प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विशेष छूट योजना प्रारभ की है। योजना का उद्देश्य उन उद्योगों जो जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 व वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत पहले से स्थापित या संचालित है, लेकिन पहले स्थापना व संचालन सम्मति प्राप्त नहीं कर पाए है, उन्हें प्रोत्साहित करना है। मण्डल द्वारा यह योजना 60 दिनों के लिए लागू की है यथा 1 दिसम्बर, 2024 से 29 जनवरी, 2025 तक लागू रहेगी।
योजना उन उद्योगों पर लागू होगी, जो राज्य बोर्ड की श्रेणीकरण के अनुसार लाल, नारंगी, व हरी श्रेणी में आते हैं जो पहली बार सम्मति प्राप्त करने के लिए आवेदन कर रहे हैं। योजना के अनुसार एक विशेष छूट के रूप में ईकाई को उन वर्षों के लिए पिछले शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा, जब वे राज्य मण्डल की बिना वैध सम्मति के संचालित थे। इन उद्योगों को जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम, 1981 के तहत निर्धारित प्रक्रिया शुल्क के अनुसार स्थापना और संचालन सम्मति के लिए उपरोक्त समय अवधि में आवेदन करना होगा। इस योजना का उद्देश्य उद्योगों को स्वीकृति प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है एवं पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन को बढ़ावा देना है।

By Udaipurviews

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